सौरव गांगुली ने खुद को कप्तानी से हटाए जाने के मामले पर प्रतिक्रिया दी है। मामले पर सौरव गांगुली ने कहा कि मुझे हटाने में ग्रेग चैपल ने शुरुआत की थी लेकिन कई और लोग भी इसमें शामिल थे। सौरव गांगुली ने यह भी कहा कि पहले मुझे कप्तानी से हटाया गया और बाद में टीम से भी बाहर कर दिया गया। इतने साल बाद सौरव गांगुली ने इस पर बयान दिया है।
सौरव गांगुली ने एक समाचार पत्र से बातचीत करते हुए कहा कि जिम्बाब्वे में जीतने के बाद अचानक मुझे कप्तानी से हटा दिया गया था। मेरा सपना 2007 वर्ल्ड कप में जीत दर्ज करना था क्योंकि टीम पांच वर्ष में काफी मजबूत हो गई थी। मुझे इस तरह से हटाना अन्यायपूर्ण निर्णय था। हर बार न्याय नहीं मिलता लेकिन इस तरह की चीजों से बचा भी जा सकता है।
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सौरव गांगुली ने दिया ग्रेग चैपल के लिए बयान
ग्रेग चैपल और सौरव गांगुली में तालमेल ठीक नहीं रहा। सौरव गांगुली ने कहा कि मुझे कप्तानी से हटाने में ग्रेप चैपल ने शुरुआत की थी। इसके बाद भी कई नाम थे जो इसमें शामिल थे, सिर्फ चैपल को दोष नहीं दिया जा सकता। चैपल ने अचानक एक ई-मेल बीसीसीआई को भेज दिया था। टीम एक परिवार की तरह होती है और परिवार के सदस्यों में असहमति होती है लेकिन चैपल ने इसे नहीं समझा।
सौरव गांगुली ने कहा कि एक विदेशी कोच सिस्टम के समर्थन के बगैर भारतीय कप्तान को नहीं हटा सकता। मैं समझ गया था कि इसमें सिस्टम और हर एक व्यक्ति का हाथ है। मुझे हटाने में हर व्यक्ति शामिल था। सौरव गांगुली ने कहा कि यह बात मुझे समझ आ गई थी। सभी के समर्थन के बगैर टीम के कप्तान को हटाना सम्भव नहीं होता। हालांकि एक साल टीम से बाहर रहने के बाद सौरव गांगुली फिर टीम में आए और बेहतरीन खेल से दर्शकों के दिल जीते।
भारतीय टीम को 2007 के विश्वकप में लीग चरण में ही बांग्लादेश और श्रीलंका के हाथों हारकर बाहर होना पड़ा था। उस समय टीम के कप्तान राहुल द्रविड़ थे।