भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने दो साल बाद भी भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने के लिए विराट कोहली के साथ काम करने की संभावना से इंकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि दो साल का समय काफी दूर है लेकिन मैंने अतीत में भी कहा है कि मैं किसी दिन भारत का कोच बनने में दिलचस्पी रखता हूं। विराट कोहली के साथ काम करना बहुत अच्छा लगेगा क्योंकि वह मैच जीतने में यकीन रखते हैं। विराट एक चैंपियन क्रिकेटर हैं।
इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अगर मैं चुना जाता हूं तो मैं भारतीय टीम को इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और (स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर वाली) वर्तमान ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ बड़ी टेस्ट सीरीज जीतने में मदद करने का प्रयास करूंगा। यदि टीम जीत हासिल कर सकती है तो यह इस टीम की विशेषता बन जाएगी।
हालांकि, गांगुली ने आगे कहा कि वे अपने समय से आगे नहीं सोचना चाहते और चाहते हैं कि विराट कोहली और रवि शास्त्री निकट भविष्य में अधिक से अधिक सफलता हासिल कर सकें। गांगुली ने कहा कि लेकिन दो साल दूर है और हम आशा करते हैं कि इस अवधि के दौरान भी भारत ऑस्ट्रेलिया और भारत में बड़े टूर्नामेंट जीतकर सफलता हासिल करे।
वीरेंदर सहवाग द्वारा चयन समिति के अध्यक्ष के रूप में अनिल कुंबले के नाम को आगे बढ़ाने का समर्थन गांगुली ने भी किया है। साथ ही ये भी कहा है कि सहवाग भी एक अच्छे चयनकर्ता साबित हो सकते हैं। गांगुली ने कहा कि वीरेंदर सहवाग और अनिल कुंबले दोनों ही चयन समिति में मिलकर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर अनिल कुंबले चयनकर्ता बन जाते हैं तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है? वह ईमानदार और अनुभवी हैं और भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण क्रिकेटर रहे हैं। यहां तक कि सहवाग भी एक अच्छे चयनकर्ता होंगे। वह साहसी और दूर की सोच रखने वाले हैं। उन्होंने हमेशा इसी सोच के साथ क्रिकेट खेला और इससे टीम को कई बार जीतने में मदद की। वनड मैचों में उनका विश्लेषण और प्रतिक्रिया किसी से कमतर नहीं थी। इस हिसाब से वह निश्चित रूप से अच्छा काम करेंगे। गांगुली ने कहा कि अनिल कुंबले और वीरेंदर सहवाग दोनों ही भारत के चयनकर्ता हो सकते हैं।
गौरतलब है कि सहवाग ने कहा था कि चयन समिति का हिस्सा बनने के लिए बड़े नाम सामने तभी आएंगे, जब उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिया जाएगा। गांगुली उनके विचारों से पूरी तरह सहमत थे। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से चयनकर्ताओं को अच्छा पैसा मिलना चाहिए, क्योंकि चयनकर्ता क्रिकेट में सबसे महत्वपूर्ण पदों में से एक है। वह टीम बनाता है और कोच टीम के साथ काम करता है। कोच के पास अपनी जानकारी है लेकिन अंतिम निर्णय चयनकर्ताओं द्वारा लिए जाते हैं।
फिलहाल, मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद को प्रतिवर्ष एक करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है, जबकि बाकी चयनकर्ताओं को 80 लाख रुपये दिए जाते हैं। यह कोच की तुलना में कम है जो प्रति वर्ष 8 करोड़ रुपये पाते हैं। वर्तमान चयन समिति के पास 13 टेस्ट मैचों का कुल अनुभव है। ऐसा माना जाता है कि चयनकर्ताओं का यह कम अनुभव भारतीय टीम प्रबंधन के खिलाफ जा रहा है।
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