आजीवन प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं श्रीसंत

अपने आजीवन प्रतिबंध के फैसले के खिलाफ एस श्रीसंत सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। पीटीआई के मुताबिक श्रीसंत ने कहा है कि उनके पास अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का विकल्प बचा है। उन्होंने कहा कि अब बात सिर्फ देश के लिए खेलने भर की नहीं रह गई है, बल्कि अब लड़ाई सम्मान वापस पाने की है। गौरतलब है कि केरल में जन्मे इस खिलाड़ी को 2013 में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलते हुए बीसीसीआई की अनुशासन समिति ने मैच फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद निलंबित कर दिया था। उनके साथ उस समय अंकित चव्हाण और अजीत चंदेला भी थे, उनके लिए भी यही निर्णय सुनाया गया था। इसके बाद दिल्ली की एक अदालत ने श्रीसंत को दोषमुक्त कर दिया था। बीसीसीआई द्वारा बैन नहीं हटाने के लिए श्रीसंत ने केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और कोर्ट ने उन पर लगा प्रतिबन्ध हटा दिया था। हालांकि इसके बाद बीसीसीआई की अपील पर अदालत ने एक बार फिर से श्रीसंत के ऊपर लगे आजीवन प्रतिबंध को बहाल कर दिया। इसके बाद श्रीसंत ने दूसरे देश की तरफ से भी खेलने का इशारा किया था। उन्होंने कहा था कि मुझ पर बीसीसीआई ने बैन लगाया है, आईसीसी ने नहीं। अगर मुझे भारत की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिलता है तो मैं किसी और देश के लिए खेल सकता हूं। उन्होंने कहा कि मैं अभी 34 साल का हूं और ज्यादा से ज्यादा 6 साल तक और क्रिकेट खेल सकता हूं। मैं क्रिकेट को काफी पसंद करता हूं इसलिए मैं खेलना चाहता हूं। बीसीसीआई एक प्राइवेट फर्म है। इसके बाद बीसीसीआई ने कहा था कि किसी पैरेंट बॉडी द्वारा निलंबित किया गया खिलाड़ी अन्य देश से नहीं खेल सकता। उन्होंने कहा कि आईसीसी के नियम ऐसे हैं और यह सब साफ़ है। अब पूरे मामले को लेकर श्रीसंत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।