आजकल श्रीलंकाई क्रिकेट (Sri Lanka Cricket Team) में कुछ भी ठीक नहीं हो रहा है। मैदान के अंदर उनके खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे, तो मैदान के बाहर श्रीलंकाई क्रिकेट के प्रशासन में भी उठा-पटक चल रही है। श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं, कई सालों से जांच भी हो रही है।
अब श्रीलंका की संसद में बीते गुरुवार को सभी की सहमति से एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें श्रीलंका की क्रिकेट संचालन संस्था को बर्खास्त करने की मांग की गई है। इसमें गौर करने वाली खास बात यह है कि देश की क्रिकेट संचालन संस्था को बर्खास्त करने का समर्थन सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ-साथ विपक्षी पक्ष के नेताओं ने भी किया है।
पक्ष-विपक्ष दोनों की सहमति से हुआ फैसला
श्रीलंकाई संसद में विपक्षी दलों के मुख्य नेता साजिथ प्रेमदासा ने क्रिकेट संस्था को बर्खास्त करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जिसका शीर्षक 'भ्रष्ट एसएलसी (श्रीलंका क्रिकेट) प्रबंधन को हटाना' था। प्रेमदासा के इस प्रस्ताव का श्रीलंका सरकार के वरिष्ठ मंत्री निमल सिरिपाला डी सिल्वा ने भी समर्थन किया।
इससे पहले बीते सोमवार को श्रीलंका के खेल मंत्री रोशन रणसिंघे ने श्रीलंका क्रिकेट प्रबंधन को बर्खास्त कर दिया था और श्रीलंका को 1996 वर्ल्ड कप में खिताबी जीत दिलाने वाले पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा की अध्यक्षता में सात सदस्यीय अंतरिम समिति को नियुक्त किया था। इस समिति को क्रिकेट बोर्ड संचालित करने के साथ भ्रष्टाचार पर भी एक्शन लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
आपको बता दें कि इस वक्त तक श्रीलंका क्रिकेट का प्रबंधन शमी सिल्वा के नेतृत्व में चल रहा था, जिसपर भ्रष्टाचार के अनेकों आरोप लगे हैं। पहले श्रीलंका सरकार के खेल मंत्री ने इस समिति को बर्खास्त करने का फैसला लिया था, लेकिन बीते गुरुवार को श्रीलंका की संसद में सरकार पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ के नेताओं ने शमी सिल्वा की अध्यक्षता में चलने वाली श्रीलंका क्रिकेट के संचालन संस्था को सिरे से खत्म करने का फैसला ले लिया है।
श्रीलंका क्रिकेट के प्रशासन में इतनी हलचल वर्ल्ड कप में टीम के द्वारा किए गए निराशाजनक प्रदर्शन की वजह से हो रही है। श्रीलंका की क्रिकेट पिछले कई सालों से निचले स्तर पर रही है, जबकि एक जमाने में श्रीलंकाई क्रिकेट का कोई मेल नहीं था।