भारत की सर्वोच्य न्यायालय ने एस श्रीसंत द्वारा आजीवन प्रतिबन्ध के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से इस पर 4 हफ्तों में जबाव माँगा है। पिछले साल अक्टूबर में केरल हाईकोर्ट ने उनपर फिर से बैन लगा दिया था जो पहले सिंगल बेंच द्वारा हटा दिया गया था। श्रीसंत के खिलाफ आईपीएल 2013 स्पॉट-फिक्सिंग का मामला सामने आया था जिसके बाद बीसीसीआई ने इस तेज गेंदबाज पर आजीवन प्रतिबन्ध लगाने का फैसला किया। हालांकि, 2015 में दिल्ली की एक कोर्ट ने केरल के इस तेज गेंदबाज को आरोपों से बरी कर दिया था लेकिन बीसीसीआई ने उनपर से प्रतिबन्ध हटाने से मना कर दिया। बोर्ड ने कहा था कि दिल्ली की एक सेशन कोर्ट के फैसले पर हम यह प्रतिबन्ध नहीं हटा सकते। श्रीसंत ने 2017 में लिखित याचिका दायर कर अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ चुनौती पेश की थी। तेज गेंदबाज के अनुसार बीसीसीआई ने जो छानबीन के लिए जो कमिटी बनाई थी उसने बिना श्रीसंत का पक्ष सुने बिना ही अपनी अंतिम रिपोर्ट बना दी थी। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने श्रीसंत को सभी आरोपों से बरी कर दिया था लेकिन बीसीसीआई ने इस फैसले के खिलाफ चुनौती देकर प्रतिबन्ध को फिर से लागू करवा दिया था। सुप्रीम कोर्ट से मिले नोटिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बीसीसीआई के कार्यकरी अध्यक्ष सीके खन्ना ने कहा कि पहले बोर्ड की क़ानूनी टीम इस आदेश कर पूरा रिसर्च करेगी उसके बाद ही हम कोई कदम उठाएंगे। इसे भी पढ़ें: 2019 विश्व कप में भारत के लिए नंबर 4 पर बल्लेबाजी के प्रबल दावेदार आईपीएल 2013 में राजस्थान रॉयल्स की टीम के तरफ से खेलने वाले इस तेज गेंदबाज पर स्पॉट-फिक्सिंग का मामला सामने आया था। श्रीसंत के अलावा उनकी टीम के दो अन्य खिलाड़ी अजित चंदेला और अंकित चवन का भी नाम स्पॉट-फिक्सिंग में आया था। उसके बाद इन पर कार्रवाई करते हुए बीसीसीआई ने तीनों खिलाड़ियों पर आजीवन प्रतिबन्ध लगा दिया था, तब से ये खिलाड़ी कोई भी मान्यता प्राप्त नहीं खेल पा रहे हैं।