टीम इंडिया के कई खिलाड़ियों ने अब खुलकर एसजी बॉल के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई है। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने गुरुवार को कहा था कि दुनिया भर में टेस्ट क्रिकेट इंग्लैंड में बनी ड्यूक बॉल से खेला जाना चाहिए, जबकि राजकोट टेस्ट के बाद अश्विन ने भी एसजी बॉल को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि मैं एसजी की तुलना में कूकाबुरा से गेंदबाजी करते हुए बेहतर महसूस करता हूं। ड्यूक भी अच्छी है, लेकिन एसजी बॉल की गुणवत्ता में गिरावट आई है। वह पहले की तरह नहीं रही है।
उमेश यादव ने भी वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन शुक्रवार को मैच के बाद कहा कि एसजी गेंद 20 ओवर के बाद काफी नरम पड़ जाती है, जिससे बाद में आने वाले बल्लेबाजों को खेलने में परेशानी नहीं होती है। निचले क्रम के बल्लेबाज यह बात बखूबी जानते हैं कि न तो गेंद स्विंग करेगी और न ही इससे रिवर्स स्विंग होगी, जिसकी वजह से कुछ अलग होने का इंतजार करना पड़ता है और लगातार कोशिश करनी पड़ती है। लेकिन आप इतने बड़े मैदान पर ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, यहां एक-दो रन आते रहते हैं। उमेश ने साथ ही कहा कि आप सिर्फ इतना कर सकते हैं कि एक ही स्थान पर गेंदबाजी करें लेकिन फिर आपको लगता है कि कुछ हो नहीं रहा है। गेंद भी स्विंग नहीं कर रही है।
जब मध्यक्रम और निचले क्रम के बल्लेबाज आते हैं तब तक गेंद और मुलायम हो जाती है, इसमें बिल्कुल भी तेजी नहीं होती। इसी कारण बल्लेबाजी बेहद आसान हो जाती है। इससे पहले कोहली ने इस मुद्दे पर अश्विन के उस बयान का समर्थन किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं अश्विन से पूरी तरह समहत हूँ। ड्यूक बॉल अभी भी बेहतर गुणवत्ता में आती है और कूकाबुरा भी अच्छी होती है। कूकाबूरा की सीम सपाट हो जाती है। टेस्ट मैचों में बॉल के इस्तेमाल के विषय में आईसीसी के कोई सख्त नियम नहीं है। हर एक देश अपनी सहूलियत के हिसाब से बॉल का इस्तेमाल करते हैं। भारत में एसजी, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में ड्यूक, जबकि ऑस्ट्रेलिया में कूकाबुरा बॉल का इस्तेमाल किया जाता है।