चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2017 में अब तक जितने मुक़ाबले हुए हैं, उसके हिसाब से एक बार फिर मेज़बान इंग्लैंड और गत विजेता भारत ख़िताब के प्रबल दावेदार दिख रहे हैं। 2013 में भी मिनी वर्ल्डकप का फ़ाइनल इन्हीं दो देशों के बीच खेला गया था जहां बाज़ी धोनी के धुरंधरों के मारी थी। अब तक हुए वार्म अप मैच और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ पहले लीग मैच में कोहली एंड कंपनी ने जिस अंदाज़ में जीत दर्ज की है, उसने भारत को इस बार भी ख़िताब का दावेदार बना दिया है। हालांकि टीम इंडिया को अभी सेमीफ़ाइनल में पहुंचने के लिए एक जीत और चाहिए, जबकि दो मैचों में दो जीत के साथ मेज़बान इंग्लैंड अंतिम-4 में पहुंच चुके हैं। ख़िताब की रक्षा करते हुए भारतीय क्रिकेट टीम ने अब तक गेंद और बल्ले दोनों से शानदार खेल दिखाया है। टीम इंडिया की कमान इस बार महेंद्र सिंह धोनी की जगह विराट कोहली के कंधों पर ज़रूर है, लेकिन जीत की भूख पहले से ज़्यादा है। टीम में युवराज सिंह और धोनी का अनुभव उन्हें और भी ख़तरनाक बना रहा है। यह भी पढ़ें : चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2017: भारत और पाकिस्तान के बीच संभव है ख़िताबी भिड़ंत धोनी अब कप्तान तो नहीं लेकिन अनाधिकारिक तौर पर एक मेंटर की भूमिका में नज़र में आ रहे हैं। मैदान पर हर नाज़ुक हालात में कोहली उनसे विचार विमर्श करते रहते हैं और इसका फ़ायदा भी टीम को मिल रहा है। इंग्लैंड की परिस्थिति में टीम इंडिया का गेंदबाज़ी आक्रमण भी काफ़ी पैना है, जिसमें 3 तेज़ गेंदबाज़, 1 स्पिनर और हार्दिक पांड्या के रूप में तेज़ गेंदबाज़ ऑलराउंडर के होने से संतुलन शानदार है। अब तक प्रदर्शन और इंग्लिश कंडीशन्स को देखते हुए लग तो यही रहा है कि 2013 फ़ाइनल का ऐक्शन रिप्ले 4 साल बाद फिर देखने को मिले तो हैरानी नहीं होगी। बल्कि इंग्लैंड चाहेगा कि इस बार नतीजा उलट दिया जाए और तीसरी कोशिश में पहली बार आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा जमाया जाए। 2013 की इंग्लिश टीम और इस इंग्लैंड टीम में काफ़ी सकारात्मक बदलाव आ चुके हैं। इयोन मॉर्गन की कप्तानी में मौजूदा इंग्लिश टीम बेहद प्रभावशाली और ताक़तवर नज़र आ रही है, जिसे शिकस्त देना काफ़ी मुश्किल नज़र आ रहा है। एलेक्स हेल्स से लेकर जो रूट, जोस बटलर और इयोन मॉर्गन ज़बर्दस्त फ़ॉर्म में हैं तो गेंद और बल्ले दोनों से मैच का पासा पलटने की क़ाबिलियत रखने वाले वर्तमान समय के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर बेन स्टोक्स का फ़ॉर्म भी क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। इसके अलावा टीम में मोइन अली के तौर पर स्पिन ऑलराउंडर भी मौजूद हैं जो टीम को शानदार बैलेंस प्रदान कर रहे हैं। इंग्लैंड का गेंदबाज़ी विभाग भी काफ़ी असरदार है, जो किसी भी हालात में विपक्षी टीम पर भारी पड़ सकता है। इस टूर्नामेंट में इन दोनों टीमों के अब तक के फ़ॉर्म को देखते हुए उम्मीद ऐसी ही नज़र आ रही है कि एक बार फिर इन दो देशों के बीच चैंपियनों के चैंपियन बनने की ख़िताबी भिड़ंत हो सकती है। इंग्लैंड के घरेलू दर्शक भी चाहेंगे कि उनकी टीम फ़ाइनल में खेले और अगर मुक़ाबला उस टीम के ख़िलाफ़ हो जिसके हाथों पिछली बार हार का सामना करना पड़ा था, तो फिर वह सिर्फ़ मुक़ाबला नहीं बल्कि बदले की जंग हो जाती है।