भारतीय टीम (Indian Cricket Team) के पिछले 10 साल से कोई भी आईसीसी टाइटल नहीं जीत पाने को लेकर 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य दिलीप वेंगसरकर ने बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसके लिए सेलेक्शन कमेटी को जिम्मेदार ठहराया है। वेंगसरकर के मुताबिक पिछले पांच-छह साल से जितने भी सेलेक्टर्स आए हैं उनके अंदर विजन की कमी रही है। वेंगसरकर ने दिग्गज बल्लेबाज शिखर धवन (Shikhar Dhawan) का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें कप्तान बना दिया गया, जबकि उस समय किसी युवा खिलाड़ी को ये जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी ताकि वो आगे के लिए ग्रूम हो सके।
भारतीय टीम को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही टीम का एक बार फिर आईसीसी टाइटल जीतने का सपना टूट गया। भारतीय टीम पिछले 10 साल से एक भी आईसीसी टाइटल नहीं जीत पाई है और लगातार नॉकआउट में आकर हार रही है। इसी वजह से टीम की काफी ज्यादा आलोचना हो रही है।
सेलेक्टर्स के पास फ्यूचर के लिए कोई विजन ही नहीं है - दिलीप वेंगसरकर
दिलीप वेंगसरकर के मुताबिक सेलेक्टर्स के पास क्रिकेट की समझ ही नहीं है और उनका कोई विजन नहीं है। हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में उन्होंने कहा,
दुर्भाग्य की बात ये है कि पिछले छह-सात साल से मैंने जो देखा है, सेलेक्टर्स के पास ना तो क्रिकेट की उतनी समझ है और ना ही उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी है। उन्होंने शिखर धवन को कप्तान बना दिया। यहां पर आप अपने फ्यूचर के कप्तान को तैयार कर सकते थे। आपने किसी भी युवा खिलाड़ी को ग्रूम ही नहीं किया। आप बात करते हैं कि दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई है तो फिर बेंच स्ट्रेंथ कहां पर है। आईपीएल में खेलकर मीडिया राइट के जरिए करोड़ों कमाना ही सिर्फ उपलब्धि नहीं होनी चाहिए।