5 लम्हें जब क्रिकेट खिलाडियों की खेल भावना को दुनिया ने सराहा 

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#3. एडम गिलक्रिस्ट का अंपायर के आउट ना देने के बावजूद पेवेलियन लौट जाना

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ऑस्ट्रेलिया का जब भी जिक्र होता है तो सबके मन में आक्रामक तेवर वाले खिलाड़ियों की तस्वीर उभर कर सामने आती है। "स्लेजिंग" को कंगारू खिलाड़ी अपने खेल का हिस्सा मानते है, ऐसे में उनकी ओर से खेल भावना की उम्मीद नहीं रख सकते है। मगर साल 2003 में खेले गए विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज विकेटकीपर बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट ने इस बात को गलत साबित कर दिखाया।

सेमीफाइनल मुकाबले में श्रीलंका के विरुद्ध ऑस्ट्रेलियाई टीम पहले बल्लेबाजी करने उतरी थी, सलामी बल्लेबाज गिलक्रिस्ट अपने विस्फोटक अंदाज में 20 गेंदों पर 22 रन बनाकर नाबाद थे। श्रीलंकाई गेंदबाज अरविंद डीसिल्वा की गेंद गिलक्रिस्ट के पैड पर लगकर विकेटकीपर कुमार संगाकारा के हाथों में चली गई। अंपायर रूडी कर्जन ने गिलक्रिस्ट को आउट देने से साफ मना कर दिया।

लेकिन गिलक्रिस्ट अंपायर के निर्णय को दरकिनार करते हुए पेवेलियन की ओर चल पड़े, क्योंकि उन्हें ऐसा लग रहा था कि उनके बल्ले का गेंद के साथ संपर्क हुआ है। इसी प्रकार की "स्पोर्ट्समैन स्पिरिट" के अनगिनत प्रसंग महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के साथ भी हुए है, जब उन्होंने अंपायर के फैसले का इंतजार किये बगैर ही पवेलियन का रुख कर लिया था।

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