2012 में भारतीय अंडर-19 टीम को विश्व कप (U-19 World Cup) चैंपियन बनाने वाले उन्मुक्त चंद (Unmukt Chand) अब सैन फ्रांसिस्को में बस चुके हैं। 28 साल के दिल्ली के ओपनर ने 13 अगस्त को बीसीसीआई (BCCI) को अपना इस्तीफा सौंपा और इसी दिन माइनर लीग क्रिकेट (MLC) की सिलीकॉन वैली स्ट्राइकर्स ने नए खिलाड़ी को अपनाने की घोषणा की।
उन्मुक्त चंद के फैसले ने भारतीय क्रिकेट फैंस में हैरानी जरूर पैदा की, लेकिन चार महीने पहले उन्होंने कहा था कि अमेरिका में क्रिकेट खेलने के बारे में उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया है।
उन्मुक्त चंद भारत की सीनियर टीम की जर्सी पहनने के अपने सपने को पूरा नहीं कर सके। सिस्टम ने उन्हें फेल किया। स्पोर्ट्सकीड़ा को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में चंद ने बताया कि डीडीसीए में मौजूदा राजनीति के कारण उनका करियर काफी प्रभावित हुआ। चंद का मानना है कि डीडीसीए ने गलत खिलाड़ियों पर दांव लगाया और इसके चलते वह लगातार बेंच गर्म करते रहे।
उन्मुक्त चंद को 2017/18 सीजन में दिल्ली ने टीम से बाहर कर दिया। 2019/20 सीजन में चंद ने उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया। 2020/21 सीजन में वह दिल्ली जरूर लौटे, लेकिन कुछ भी नहीं बदला था।
उतार-चढ़ाव भरा रहा चंद का करियर
2017 में दिल्ली क्रिकेट ने उन्मुक्त चंद के सामने एक शर्त रखी गई। इसमें उन्मुक्त चंद को मुंबई इंडियंस छोड़ने को कहा गया और उन्हें गेमटाइम देने का वादा किया। चंद ने यह बात मानी। चंद को तब भी मौके नहीं मिले।
विश्व कप से करीब दो साल पहले अपना जलवा दिखेरने वाले चंद ने आईपीएल में फ्रेंचाइजी को प्रभावित जरूर किया था। मगर एक समय बाद आईपीएल नीलामी में उनका नाम आना बंद हो गया। चंद ने भारत ए का सफल नेतृत्व किया। इस दौरान चंद ने 18 शतक और 53 अर्धशतकों की मदद से 9,449 रन बनाए। उन्मुक्त चंद बहुत अच्छी स्पेस में अब हैं।
मगर इस कहानी ने साबित कर दिया कि प्रतिभा और कड़ी मेहनत से किसी को भारतीय क्रिकेट में सफलता मिलने की गारंटी नहीं है।
उन्मुक्त चंद ने 2015 में ऑस्ट्रेलिया ए और दक्षिण ए के खिलाफ भारत ए की कप्तानी की थी। भारत ए ने उन्मुक्त चंद की कप्तानी में उस्मान ख्वाजा के नेतृत्व वाली ऑस्ट्रेलिया ए को फाइनल में 4 विकेट से मात दी थी। चंद ने टूर्नामेंट का समापन 47 की शानदार औसत के साथ 235 रन बनाकर किया। उस प्लेइंग इलेवन में उन्मुक्त चंद को छोड़कर बाकी सब ने भारत के लिए डेब्यू किया