2012 में जब उन्मुक्त चंद ने अपनी कप्तानी में भारतीय अंडर-19 टीम को वर्ल्ड कप का खिताब जिताया था तो उन्हें भारतीय क्रिकेट का अगला बड़ा सितारा बताया गया था। कहा जा रहा था कि वो अगले विराट कोहली हो सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्मुक्त चंद को वो सफलता नहीं मिली। इस पर अब उन्मुक्त चंद ने बड़ा बयान दिया है। उन्मुक्त चंद ने कहा है कि उन्हें पता था कि उनकी कहानी अलग हो सकती है।
आकाश चोपड़ा के साथ उनके यू-ट्यूब चैनल पर उन्मुक्त चंद ने कहा कि अंडर-19 के किसी भी खिलाड़ी के लिए वर्ल्ड कप सबसे अहम चीज होती है। आप अंडर-16 से लेकर लगातार मेहनत करते हैं, तब जाकर आपको अंडर-19 में खेलने का मौका मिलता है और वो काफी बड़ी बात होती है। जैसे हर खिलाड़ी के लिए वर्ल्ड कप जीतना एक सपना होता है, उसी तरह जूनियर खिलाड़ियों के लिए अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतना भी एक सपना होता है।
उन्मुक्त चंद ने कहा कि अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतना मेरे लिए काफी जरुरी था
उन्मुक्त चंद ने आगे कहा कि 2008 में मैंने विराट भैय्या को अंडर-19 में वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जीतते हुए देखा था। उसका मेरे ऊपर काफी बड़ा प्रभाव था और उसकी यादें मेरे जेहन में ताजा थीं। मुझे पता था कि मेरी कहानी अलग हो सकती है। मेरे लिए सबसे जरुरी था अंडर-19 वर्ल्ड कप का खिताब जीतना।
उन्मुक्त चंद ने कहा कि ऐसा नहीं था कि वर्ल्ड कप जीतने के बाद मुझे मौके नहीं मिले। मैंने इंडिया ए की तरफ से खेला और 2016 तक मैं भारतीय टीम का कप्तान भी था। मैं रन भी बना रहा था और कई बार मुझे बोला गया कि तैयार रहो, हम तुम्हें टीम में चुनने वाले हैं। हालांकि ये कहना ठीक नहीं है कि अगर मैं खेल रहा होता तो मैं ये करता ये नहीं करता। सबसे अहम चीज है कि जो हुआ, उससे मैंने क्या सीखा।
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उन्मुक्त चंद ने कहा कि भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए जरुरी है कि कॉम्बिनेशन आपके फेवर में हो। मुझे याद है कि जब मैं बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा था तब वीरू भैय्या और गौतम भैय्या भारतीय टीम के लिए शानदार ओपनिंग कर रहे थे। जब भारतीय टीम को सलामी बल्लेबाजों की जरुरत पड़ी तो मेरा फॉर्म उतना अच्छा नहीं था। ये चीजें भी काफी मायने रखती हैं।