Varun Chakravarthy Cricket journey: भारतीय क्रिकेटर वरुण चक्रवर्ती की चर्चा चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के दौरान खूब हो रही है। उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 5 विकेट लेकर सनसनी मचा दी थी। वरुण चक्रवर्ती के शानदार प्रदर्शन की हर कोई तारीफ कर रहा है लेकिन उनका सफर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है।
इस भारतीय क्रिकेटर के जीवन में कई ऐसे मोड़ आए जब उन्होंने हर हार मानने की सोची और निराशा झेली। यहां तक कि वरुण क्रिकेट को छोड़ना चाहते थे लेकिन फिर उन्होंने जबरदस्त वापसी की। इसी कड़ी में हम आपको वरुण चक्रवर्ती की जिंदगी के दिलचस्प किस्सों के बारे में बताएंगे कि कैसे वह इस मुकाम तक पहुंचे।
आर्किटेक्ट बनने का था सपना
वरुण चक्रवर्ती का जन्म 29 अगस्त 1991 को कर्नाटक के बीदर में हुआ था। वरुण चक्रवर्ती को बचपन से क्रिकेट में दिलचस्पी थी, और महज 13 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। वरुण चक्रवर्ती ने बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने एक-दो नहीं, बल्कि तीस-चालीस बार ट्राई किया, लेकिन उनका सेलेक्शन नहीं हुआ। वरुण चक्रवर्ती बताते हैं, "मेरे नाम का चयन नहीं होता था, जिसकी वजह से मैं बहुत हताश हो गया था और मैंने क्रिकेट छोड़ने का फैसला किया।" 16 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया और आर्किटेक्ट बनने का फैसला लिया।
वरुण चक्रवर्ती ने एसआरएम यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु से आर्किटेक्चर में डिग्री ली और तीन साल नौकरी भी की। कुछ साल वहां काम करने के बाद वरुण ने थक-हारकर अपने पापा को कॉल किया और उन्हें बताया कि वह नौकरी छोड़ना चाहते हैं और फिर से क्रिकेट जॉइन करेंगे।
तेज गेंदबाज बनना चाहते थे
वरुण चक्रवर्ती ने बातचीत में आगे बताया, "मैंने क्रिकेट में कीपिंग भी की, बैटिंग भी की और फिर बॉलिंग भी की। बॉलिंग में मेरा सपना था कि मुझे सबसे फास्ट बॉलर बनना है और भारत का सबसे फास्ट बॉलर बनूं। मैंने बॉलिंग शुरू की, लेकिन फास्ट बॉलिंग भी नहीं आ रही थी, तो मैंने सोचा कि लास्ट ऑप्शन के तौर पर स्पिन ही कर लूंगा। अगर इसमें भी नहीं हुआ, तो क्रिकेट छोड़ दूंगा।" लेकिन स्पिनर के रूप में वरुण चक्रवर्ती ने जो कमाल किया, वह हर किसी के सामने है।