वीडियो: कैसे खेली जाती है ब्लाइंड क्रिकेट?

भारत ने पाकिस्तान को 9 विकेट से हराकर लगातार दूसरी बार टी20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप पर कब्जा किया था। 12 फरवरी को बैंगलोर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने खिताबी जीत दर्ज की थी। 198 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने 1 विकेट के नुकसान पर 18वें ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया था। 2012 में भारत ने पाकिस्तान को ही हराकर पहली बार ख़िताब पर कब्जा किया था।

अब आइये आपको बताते हैं कि आखिर ब्लाइंड क्रिकेट खेली कैसे जाती है?

ब्लाइंड क्रिकेट में पिच, बल्ला और स्टंप्स वैसे ही होते हैं, जैसे सामान्य क्रिकेट में रहते हैं। बाउंड्री की दूरी 45 से 50 यार्ड की होती है। ब्लाइंड क्रिकेट में इस्तेमाल की जाने वाली गेंद प्लास्टिक की होती है और उसके अंदर आवाज़ के लिए बॉल बियरिंग लगी होती हैं। आवाज़ के कारण ही बल्लेबाज को पता चलता है कि गेंद किस तरफ से आ रही है। मैच के दौरान दोनों टीमों में तीन कैटेगरी के 11 खिलाड़ी होते हैं। टीम संरचना: #4 पूरी तरह से नेत्रहीन खिलाड़ी (बी1) ऐसे खिलाड़ी जो हाथ के आकर को किसी भी दूरी और किसी भी दिशा से नहीं देख सकते। #3 आंशिक रूप से नेत्रहीन (बी2) हाथ के आकार को पहचानने के अलावा 2/60 की दृष्टि या फिर सुधार के बाद 5 डिग्री से कम का दृष्टि क्षेत्र # 4 खिलाड़ी जो थोड़ा-बहुत देख सकते हैं 2/60 से लेकर 6/60 की दृष्टि या फिर सुधार के बाद 20 डिग्री से कम का दृष्टि क्षेत्र गेंदबाजी: गेंदबाजी अंडरआर्म होती है और यॉर्कर एवं बीमर फेंकना सख्त मना है। पिच के बीच में एक लाइन बनी होती है और गेंदबाज उसके आगे गेंद को टप्पा नहीं खिलवा सकता है। एक पारी के 40% ओवर पूरी तरह से नेत्रहीन क्रिकेटर ही फ़ेंक सकते हैं। स्कोरिंग: पूरी तरह से नेत्रहीन खिलाड़ियों के रन को दुगुना कर दिया जाता है। साथ ही नो बॉल पर फ्री हिट भी मिलती है। विकेट: पूरी तरह से नेत्रहीन क्रिकेटर अगर एक टप्पे में भी गेंद को पकड़े तो उसे आउट माना जाता है। बाकी आउट के नियम सामान्य क्रिकेट वाले ही होते हैं।