वीरेंदर सहवाग की बल्लेबाजी करने का अलग ही मिजाज था। वो अपनी ही धुन में बल्लेबाजी करना पसंद करते थे और यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय करियर में उन्होंने 17,000 से अधिक रन बनाए हैं। मगर क्या आपको पता है कि जिसने टेस्ट में ओपनिंग करने की परिभाषा को बदला वो सहवाग टीम मीटिंग से सख्त नफरत करते थे। भारतीय टीम के प्रमुख ऑफ़स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने खुलासा करते हुए बताया कि सहवाग हमेशा टीम की योजनाओं पर बात करने से दूर रहना पसंद करते थे। स्टैंड अप कॉमेडियन और क्रिकेट ह्युमरिस्ट विक्रम साथ्याए के नए शो में बातचीत करते हुए 30 वर्षीय अश्विन ने 2011 विश्व कप का एक मजेदार किस्सा बताया और सहवाग की टीम मीटिंग के प्रति नफरत का खुलासा किया। अश्विन ने कहा, 'सहवाग को टीम मीटिंग से नफरत होती थी। इसकी वजह थी कि जो टीम चाहती थी या कोई योजना बनाती थी, वो उसके हिसाब से खेलना पसंद नहीं करते थे। 2011 विश्व कप के दौरान हमें बैंगलोर में इंग्लैंड के खिलाफ खेलना था। तब कोच गैरी कर्स्टन ने सुबह 10 बजे की मीटिंग रखी। मीटिंग से पहले सहवाग ने गैरी को कहा कि वो कुछ विशेष बात डिस्कस करना चाहते हैं। जहां सभी को लगा कि सहवाग पिछले मैच से मिले सबक या कोई उपयोगी टिप्स देंगे, वहीं सहवाग ने अपने मजाकिया अंदाज में सभी खिलाड़ियों को मिलने वाले कॉम्प्लिमेंट्री पास के बारे में बात करना शुरू की।' यह भी पढ़ें : वीरेंदर सहवाग के ट्वीट के बाद जुनैद खान का जवाब अश्विन ने आगे कहा, 'उस मीटिंग में शामिल सभी लोग का ध्यान सहवाग के डिस्कशन पॉइंट पर गया। वीरू ने ध्यान दिलाया कि उन्हें पता चला है कि सभी खिलाड़ियों को 6 पास मिलने थे, लेकिन तीन ही मिले। इसलिए उन्होंने इस मामले को अपने हाथों में लेने का फैसला किया और कहा कि टॉस से पहले टीम के खिलाड़ियों को जरुरी 6 पास मिल जाना चाहिए। ये पहली मीटिंग थी जो पूरे 20 मिनट चली थी। वीरू ने पास नहीं मिलने पर मैच नहीं खेलने की धमकी भी थी!' 30 वर्षीय ऑफ़स्पिनर ने बताया, 'सहवाग सिर्फ गेंद देखकर उस पर प्रहार करना पसंद करते थे। इसलिए सहवाग को टीम मीटिंग में हिस्सा लेना रास नहीं आता था।' उन्होंने साथ ही बताया कि भारतीय टीम की मीटिंग ज्यादा से ज्यादा दो मिनट की होती थी। उन्होंने कहा, 'प्रेजेंटेशन होते थे, जिसमें गैरी भाषण देते थे। एमएस धोनी फिर थोड़ा कुछ बोलकर मीटिंग समाप्त करते थे।'