भारतीय टीम के पूर्व दिग्गज सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग (Virender Sehwag) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि उनके समय में टीम के कोच अपने पसंद के खिलाड़ियों को ज्यादा तरजीह देते थे। उन्होंने कहा कि चाहे कोई भारतीय कोच रहता था, या कोई विदेशी कोच रहता था, सबकी अपनी-अपनी पसंद होती थी और कोई भी निष्पक्ष नहीं होता था। सहवाग ने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि जब ग्रेग चैपल टीम इंडिया के हेड कोच बने थे तो उन्होंने बयान दिया था कि सहवाग टीम के कप्तान होंगे लेकिन इसके बाद मुझे टीम से ही बाहर कर दिया गया था।
ग्रेग चैपल की अगर बात करें तो उनके कोचिंग का कार्यकाल काफी विवादों में रहा था। सौरव गांगुली के साथ उनके काफी विवाद की खबरें सामने आई थीं। उनकी कोचिंग में ही भारतीय टीम को 2007 के वर्ल्ड कप में पहले ही राउंड से बाहर होना पड़ा था।
सहवाग के मुताबिक भारतीय खिलाड़ियों को लगता था कि जब कोई विदेशी कोच आएगा तो वो सभी खिलाड़ियों को एक ही नजर से देखेगा लेकिन ऐसा नहीं था। हर एक कोच की अपनी-अपनी पसंद के कुछ खिलाड़ी होते थे।
हर एक कोच के अपने-अपने फेवरिट प्लेयर होते थे - वीरेंदर सहवाग
स्पोर्ट्स नेक्स्ट के साथ इंटरव्यू में सहवाग ने कहा "सीनियर खिलाड़ियों ने भारतीय कोचों के साथ काफी ज्यादा समय बिताया था और उनके अपने फेवरिट खिलाड़ी होते थे। वे अपने पसंदीदा प्लेयर्स का पक्ष लेते थे। जो फेवरिट नहीं होता है उसकी शामत आ जाती है। प्लेयर्स को लगता था कि विदेशी कोच आएगा तो फिर वो सबको बराबर की निगाह से देखेगा। हालांकि ये सच नहीं है, क्योंकि विदेशी कोचों के भी अपने पसंदीदा खिलाड़ी होते हैं। वे भी नाम के ऊपर जाते हैं, चाहें तेंदुलकर हों, द्रविड़, गांगुली या फिर लक्ष्मण। जब ग्रेग चैपल आए तब उनका पहला बयान यही था कि सहवाग कप्तान बनेंगे। दो महीने में कप्तानी तो भूल जाइए मैं टीम से ही बाहर था।"