भारत के पूर्व ओपनिंग बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग (Virender Sehwag) को क्रिकेट के सबसे सफलतम ओपनर्स में शुमार किया जाता है। इस दिग्गज का अपना ही अंदाज था और फॉर्मेट की परवाह किये बिना आक्रामक अंदाज में खेलने के लिए जाने जाते थे। अपने संन्यास के लगभग सात साल बाद सहवाग ने एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि 2008 में जब एमएस धोनी (MS Dhoni) ने उन्हें सीबी सीरीज के दौरान ड्रॉप कर दिया था तो उन्होंने वनडे फॉर्मेट से संन्यास का मन बना लिया था।
2007-08 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत ने तीनों फॉर्मेट्स के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। टेस्ट फॉर्मेट में सहवाग ने दो मैचों की चार पारियों में 71 से भी ज्यादा की औसत से 286 रन बनाये थे लेकिन इसके बाद कॉमनवेल्थ सीरीज में उनका बल्ला नहीं चला था। इसी वजह से धोनी ने शुरूआती कुछ मैचों के बाद उन्हें प्लेइंग XI से ड्रॉप कर दिया था।
क्रिकबज के शो 'मैच पार्टी' पर उस दौरे को याद करते हुए वीरू ने कहा,
2008 में जब हम ऑस्ट्रेलिया में थे तो मेरे दिमाग में यह सवाल (रिटायरमेंट का) आया था। मैंने टेस्ट सीरीज़ में वापसी की, 150 रन बनाए। वनडे में, मैं तीन-चार प्रयासों में इतना स्कोर नहीं कर सका था। तो एमएस धोनी ने मुझे प्लेइंग इलेवन से ड्रॉप कर दिया फिर मेरे दिमाग में वनडे क्रिकेट छोड़ने का ख्याल आया। मैंने सोचा था कि मैं केवल टेस्ट क्रिकेट खेलना जारी रखूंगा।
वीरेंदर सहवाग ने कॉमनवेल्थ बैंक त्रिकोणीय सीरीज में पहले चार मैचों में 6, 33, 11 और 14 के स्कोर बनाये थे। इसी वजह से उन्हें बार कर दिया गया था। हालाँकि दो मैचों बाद उन्हें फिर शामिल किया गया लेकिन इस बार भी वह महज 14 रन का ही योगदान दे पाए और उन्हें फिर से ड्रॉप कर दिया गया था। इस तरह इस सीरीज में भारत के 10 मैचों में से सहवाग को पांच में ही खेलने का मौका मिला था, जिसमें उन्होंने 16.20 की औसत से 81 रन बनाये थे।
भारत ने उस सीबी सीरीज के सर्वश्रेष्ठ तीन फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 2-0 से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।
सचिन ने संन्यास लेने से रोका - वीरेंदर सहवाग
सहवाग ने यह भी खुलासा किया कि यह सचिन तेंदुलकर थे जिन्होंने उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान वनडे फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा करने से रोका था। उन्होंने कहा,
उस वक्त सचिन तेंदुलकर ने मुझे रोका था। उन्होंने कहा, 'यह तुम्हारे जीवन का बुरा दौर है। बस रुको, इस दौरे के बाद घर वापस जाओ, खूब सोचो और फिर तय करो कि आगे क्या करना है।' सौभाग्य से मैंने उस समय अपने संन्यास की घोषणा नहीं की थी।
इस दौरे के बाद सहवाग 7-8 साल तक भारत के लिए खेले और उन्होंने अपना करियर शानदार तरीके से समाप्त किया। यहाँ तक कि उन्हें 2011 में वर्ल्ड कप जीत का हिस्सा बनने का भी मौका मिला। दिग्गज खिलाड़ी ने अपने करियर में 104 टेस्ट, 251 वनडे और 19 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले।