#4. 2010 में मोहाली टेस्ट की दूसरी पारी में 73 रन
ये मैच कई मायनों में यादगार रहा। विपरीत परिस्थितियों में भारतीय टीम ने जीत हासिल की। मुश्किल हालात में होते हुए भी एक खिलाड़ी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। वॉटसन के शतक और पोंटिंग के अर्धशतक की बदौलत कंगारु टीम ने 428 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा किया। भारत ने इसका अच्छा जवाब दिया और सचिन तेंदुलकर के 98 रनों की बदौलत 405 रन बनाए। चोट की वजह से मैच में वीवीएस लक्ष्मण 10वें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे। इस वजह से वो पहली पारी में महज 2 रन ही बना सके।
दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों ने अनुशासित गेंदबाजी को और ऑस्ट्रेलियाई टीम को 192 रनों पर रोक दिया। भारतीय टीम को जीत के लिए 216 रनों का टार्गेट मिला। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही और पहले ही ओवर में सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का विकेट गिर गया। इसके बाद भारतीय टीम के विकेटों की झड़ी लग गई और देखते ही देखते मात्र 76 रनों पर भारत के चोटी के 5 बल्लेबाज पवेलियन में थे।
ऐसी नाजुक स्थिति में क्रीज पर बल्लेबाजी के लिए वीवीएस लक्ष्मण आए। लक्ष्मण अब भी चोट से जूझ रहे थे। लक्ष्मण के क्रीज पर आने के बाद 3 और विकेट गिर गए। भारत की सबसे बड़ी उम्मीद सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह भी आउट हो गए। 128 रनों पर भारत के 8 विकेट गिर चुके थे। जीत अभी भी भारतीय टीम से कोसों दूर थी।
8वां विकेट गिरने के बाद इशांत शर्मा बल्लेबाजी के लिए आए और भारत को जीत के लिए 92 रन चाहिए थे। एक चोटिल बल्लेबाज और 2 पुछल्ले बल्लेबाजों के लिए टेस्ट मैच के 5वें दिन ये रन बनाना एकदम असंभव सा लग रहा था। खासकर जब सामने ऑस्ट्रेलिया के कहर बरपाते गेंदबाज हों। वेरी-वेरी स्पेशल लक्ष्मण ने यहीं से अपना क्लास दिखाना शुरु कर दिया। चोटिल होने के बावजूद लक्ष्मण ने रिकी पोंटिंग के हर एक आक्रमण का करारा जवाब दिया। लक्ष्मण ने कंगारू गेंदबाजों को विकेट से महरुम रखा और दूसरी तरफ तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा भी लक्ष्मण का साथ बखूबी निभा रहे थे।
धीरे-धीरे ये बल्लेबाज टीम के स्कोर को बढ़ाते गए और टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचा दिया। लेकिन यहीं से ऑस्ट्रेलियाई टीम ने फिर से वापसी की और इशांत शर्मा को पवेलियन भेज दिया। अब भारत के पास सिर्फ 1 विकेट बचे थे और जीत के लिए अभी भी 11 रन चाहिए थे। क्रीज पर बल्लेबाज थे प्रज्ञान ओझा और वीवीएस लक्ष्मण। मैच काफी रोमांचक स्थिति में पहुंच चुका था। ऐसे में रन दौड़ने को लेकर ओझा और लक्ष्मण के बीच थोड़ी बहस भी हुई। लेकिन दोनों ही बल्लेबाजों ने अंत में भारतीय टीम को एतिहासिक जीत दिला दी। चोट से परेशान होने के बावजूद लक्ष्मण की ये यादगार मैच जिताऊ पारी लंबे समय तक याद रखी जाएगी।