पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वसीम अकरम (Wasim Akram) ने चेन्नई एयरपोर्ट पर हुए उनके साथ एक वाकये को याद किया है और कहा है कि वो उस वाकए के लिए भारत को कभी नहीं भूल सकते हैं। उनके मुताबिक उनकी पत्नी बेहोश हो गई थीं और भारत का वीजा ना होने के बावजूद उन्हें चेन्नई में हॉस्पिटल में एडमिट करने की इजाजत दी गई।
वीजा की परवाह किए बिना मेरी पत्नी को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया - वसीम अकरम
स्पोर्टस्टार से बातचीत में वसीम अकरम ने कहा 'मैं अपनी दिवंगत पत्नी के साथ सिंगापुर जा रहा था। फ्लाइट को रिफ्यूल करने के लिए चेन्नई में लैंड करना था। जब हमने लैंड किया तो मेरी वाइफ बेहोश हो गई थीं। मैं रो रहा था और चेन्नई एयरपोर्ट पर लोगों ने मुझे पहचान लिया। हमारे पास भारत का वीजा नहीं था। हम दोनों के ही पास पाकिस्तानी पासपोर्ट थे। चेन्नई एयरपोर्ट पर लोगों ने, सिक्योरिटी फोर्सेज, कस्टम्स और इमीग्रेशन अधिकारियों ने मुझसे कहा कि वीजा की चिंता मत कीजिए और वो मेरी पत्नी को हॉस्पिटल लेकर गए। ये एक ऐसी चीज है जिसे एक क्रिकेटर और एक इंसान के तौर पर मैं कभी नहीं भूलुंगा।'
वहीं इसी बातचीत के दौरान वसीम अकरम ने 1999 में चेन्नई टेस्ट से भी जुड़ा एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया 'चेन्नई टेस्ट मैच मेरे लिए काफी खास है। काफी गर्मी पड़ रही थी और पिच पूरी तरह से खुल गई थी और हमें काफी सूट कर रही थी क्योंकि हम गेंद को रिवर्स स्विंग करा रहे थे। इसके अलावा हमारे पास सकलैन मुश्ताक के रूप में एक बेहतरीन स्पिनर भी था। उस वक्त उनके अलावा 'दूसरा' कोई नहीं डाल सकता था। पहली पारी के बाद सचिन तेंदुलकर ने उन्हें काफी अच्छी तरह से खेला। जब भी सकलैन 'दूसरा' डालते थे सचिन कीपर के पीछे उसे खेल देते थे और इसी वजह से सचिन सबसे महान बल्लेबाज हैं।'
अकरम ने आगे कहा 'भारत को जीतने के लिए 20 के आस-पास रनों की जरूरत थी। तेंदुलकर 136 पर बैटिंग कर रहे थे और मैंने सकलैन से कहा कि वो अपना 'दूसरा' ऑफ स्टंप के बाहर डालें और गेंद को थोड़ी हवा दें। सचिन इसको मिडविकेट पर मारने का प्रयास कर सकते हैं और यही हुआ। सचिन ने उस पर छक्का लगाने का प्रयास किया और मैंने कैच पकड़ लिया।'