9 अक्टूबर 1987 ये वो दिन है जब ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड कप के एक बेहद करीबी मुकाबले में भारत को एक रन से हरा दिया था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए 270 रन बनाए थे और जवाब में भारतीय टीम 269 रन ही बना पाई थी और उन्हें एक रन से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि ऑस्ट्रेलिया ने ये मुकाबला कपिल देव के खेल भावना की वजह से जीता था। कपिल देव इस बात के लिए राजी हो गए थे कि अंपायर ने जिस गेंद को चौका करार दिया है उसे छक्का दिया जाए।
पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलिया की शुरूआत काफी अच्छी रही। ज्योफ मार्श और डेविड बून की सलामी जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 110 रनों की साझेदारी की। मार्श ने शानदार 110 रन बनाए। इसके बाद दिवंगत डीन जोंस ने भी 35 गेंद पर 39 रन बनाए थे। जोंस ने इसी दौरान एक शॉट खेला जो हवा में चला गया। हालांकि बाउंड्री लाइन पर खड़े रवि शास्त्री ने कैच ड्रॉप कर दिया और गेंद बाउंड्री के बाहर चली गई। अंपायरों ने इसे चौका करार दिया।
कपिल देव ने खेल भावना दिखाते हुए बाउंड्री को माना था छक्का
डीन जोंस का मानना था कि ये 6 रन है और वहीं भारत के विकेटकीपर किरण मोरे का मानना था कि ये चौका है। हालांकि आखिर में इसे चौका ही करार दिया गया। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पारी में 268 रन बनाए। जब कंगारू टीम की पारी खत्म हुई तो ऑस्ट्रेलिया के मैनेजर ने अंपायर से शिकायत की और कहा कि वो गेंद छह रन थी। इसके बाद अंपायरों ने भारत के कप्तान कपिल देव से बातचीत की और कपिल देव ने उसे छक्का मान लिया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के स्कोरबोर्ड में दो रन और बढ़ गए और इन्हीं दो रनों की बदौलत उन्होंने आखिर में जाकर जीत हासिल की। अगर कपिल देव छक्का मानने की अनुमति ना देते तो भारतीय टीम इस मैच की विजेता होती।