बुधवार को अबुधाबी में हुए मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 80 रनों से मात दी। आरोन फिंच की कप्तानी में कंगारू टीम ने पांच मैचों की सीरीज में 3-0 की बढ़त हासिल की। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 3-2 से हराकर सीरीज जीती थी।
ऑस्ट्रेलिया का हालिया प्रदर्शन शानदार रहा है। निश्चित ही यह विश्वकप से पहले टीम के लिए अच्छे संकेत हैं। मगर विश्वकप 2015 जीतने वाली ऑस्ट्रेलिया के लिए पिछले एक साल का सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा। टीम के नियमित कप्तान स्टीव स्मिथ और नियमित उपकप्तान डेविड वॉर्नर पर बॉल टेम्परिंग के प्रतिबंध के बाद से टीम के संतुलन में कमजोरी देखने को मिली। ऐसा क्या कारण रहा की टीम अचानक से ही इतनी कमजोर नजर आने लगी।
विश्वकप 2015 में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी माइकल क्लार्क ने की थी। क्लार्क ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 74 एकदिवसीय मैचों में कप्तानी की जिसमे से ऑस्ट्रेलिया ने 50 मैच जीते जबकि 21 मैचों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बतौर कप्तान उनका बल्लेबाजी में औसत 45.75 का रहा, जो कि उनके करियर औसत 44.59 से बेहतर रहा। उन्होंने रिकी पोंटिंग की कप्तानी की परंपरा को अच्छी तरह से आगे बढ़ाया।
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पिछले विश्वकप में मिचेल जॉनसन जैसे तेज गेंदबाज ने ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी की जिम्मेदारी ली। जॉनसन ने विश्वकप में 8 मैच खेले , जिसमे उन्होंने 21.73 की औसत से 15 विकेट लेकर जीत में अहम भूमिका निभाई। टीम में शेन वाटसन ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की। उन्होंने 7 मैचों में लगभग 41 की औसत से 208 रन बनाए। हालांकि उन्हें कम ही गेंदबाजी के अवसर मिले जिसमे उन्होंने 2 विकेट लिए।
यूँ तो प्रत्येक खिलाड़ी ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया मगर इस विश्लेषण में माइकल क्लार्क, शेन वॉटसन और मिचेल जॉनसन का जिक्र विशेष तौर पर किया गया है, क्योंकि यह तीनों ही खिलाड़ी आगामी विश्वकप में टीम में नहीं होंगे। अगर वर्तमान टीम में उनके विकल्प की बात की जाय तो मार्कस स्टोइनिस, वॉटसन का उपयुक्त विकल्प नजर आते हैं। वह कंगारू टीम के लिए उपयोगी रहे हैं। चिंता की मुख्य बात यह है कि न तो टीम के पास माइकल क्लार्क जैसा चतुर कप्तान है और न ही जॉनसन जैसा तेज गेंदबाज। झाय रिचर्ड्सन ने हाल ही में अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया था लेकिन वह भी चोटिल होकर विश्वकप की योजनाओं से बाहर हो गए हैं। साथ ही मुख्य तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क की फिटनेस उनकी समस्या रही है। कंगारू टीम प्रबंधन अब तक एक स्थापित विकेटकीपर को भी चुनने में असफल रहा है।
विश्वकप के लिये डेविड वॉर्नर औऱ स्टीव स्मिथ की वापसी बहुद हद तक तय है। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि एक साल के प्रतिबंध खत्म होने के बाद क्या टीम प्रबंधन स्टीव स्मिथ को दोबारा से टीम में शामिल कर उन्हें कप्तानी सौंपता है? हालांकि स्मिथ अभी टीम से बाहर चल रहे हैं और उन्हें अपने फॉर्म और फिटनेस साबित करनी है।
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