14 जुलाई को न्यूजीलैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान में हुए कांटे के खिताबी मुकाबले में क्रिकेट के जनक कहे जाने वाले इंग्लैंड ने एक नया इतिहास रच दिया। उसने पहली बार विश्व कप जीतकर ट्रॉफी उठाने का गौरव प्राप्त किया। कहा जा रहा था कि विश्व विजेता बनने के बाद टीम खुली बस पर विजयी जुलूस के जरिए पारंपरिक रूप से जश्न मनाएगी। चाहे क्रिकेट हो या फुटबॉल, जब भी इंग्लैंड में जीत का जश्न मनाना होता है तो वहां इस पारंपरिक अंदाज का अनुसरण किया जाता है लेकिन इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड की अपील के बाद जश्न को स्थगित कर दिया गया।
इयोन मॉर्गन की टीम ने वो कारनामा कर दिखाया है, जिसका कई साल से इंग्लैंड को इंतजार था। इंग्लैंड में क्रिकेट प्रशंसकों को विजयी जुलूस का बेसब्री से इंतजार था लेकिन ईसीबी ने सार्वजनिक अपील करके इस परेड की मेजबानी ना करने का फैसला लिया है। यह निर्णय होने वाली एशेज सीरीज को देखते हुए लिया गया है। कहा जा रहा था कि गवर्निंग बॉडी ने ट्रॉफी के साथ लंदन के आसपास एक खुली बस परेड आयोजित करने की व्यवस्था शुरू कर दी थी।
बोर्ड के इनकार के बावजूद हजारों क्रिकेट प्रशंसक ट्राफलगर स्क्वायर पर इकट्ठा होकर जीत का जश्न मनाने की मांग करते रहे। बस परेड को लेकर चेंज डॉट ओआरजी पर एक याचिका भी दाखिल की गई है। इसमें एक उत्सव परेड की मांग की गई है। वैसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की एशेज सीरीज से पहले इंग्लैंड 24 जुलाई से आयरलैंड के खिलाफ एक चार दिवसीय टेस्ट खेलेगी।
टेस्ट कप्तान जो रूट का कहना है कि अभी कई चीजें चल रही हैं लेकिन फिलहाल हमें एशेज सीरीज की तैयारी करनी है। एशेज की तरह टेस्ट क्रिकेट में और कोई सीरीज नहीं होती है। मेरा पूरा ध्यान इसी पर रहेगा। यह हमारे लिए विशेष और विशाल शृंखला होगी क्योंकि यह विश्वकप के बाद हो रही है।
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