साउथैम्पटन की अनिश्चित उछाल वाली तेज विकेट पर जिस तरह से दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रोहित शर्मा ने सधी हुई बल्लेबाजी करते हुए नाबाद शतक लगाया, उससे भारतीय टीम का मनोबल आसमान छूने लगा है। 227 रन का छोटा लक्ष्य होने के बावजूद भारतीय टीम को बल्लेबाजी करने में परेशानी हुई। तेज गेंदबाज रबाडा ने अपनी गति और उछाल से शुरुआत में रन ही नहीं बनाने दिए। हिटमैन के नाम से पहचाने जाने वाले रोहित ने अपनी शैली के विपरीत सधकर खेला और टीम को विश्वकप में पहली जीत हासिल करवाई।
उन्होंने कहा, "मेरी कोशिश मुश्किल विकेट पर बेसिक्स के साथ डटे रहने की थी। मैं गेंद को शरीर से दूर नहीं खेलना चाह रहा था। साथ ही मुझे साझेदारियों की जरूरत थी, ताकि लक्ष्य को हासिल करने में मुझे मदद मिले। यहां का विकेट गेंदबाजों के लिए मुफीद था। मैं अपना स्वभाविक क्रिकेट नहीं खेल पा रहा था। मुझे अपने शॉट्स लगाने में वक्त लग रहा था। मुझे अपने कुछ फेवरिट शॉट्स को छोड़ना भी पड़ा। जिस तरह से गेंद पड़ने के बाद आ रही थी, उसे खेलना कठिन था। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में हरेक बल्लेबाज ने अपना काम किया है। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। हर मैच में किसी न किसी का दिन होता है। इसमें मेरा दिन था। हम किसी एक खिलाड़ी के भरोसे पूरा मैच नहीं छोड़ सकते हैं। यही इस भारतीय टीम की पहचान है। यह लंबा चलने वाला टूर्नामेंट है। इसमें कभी कोई चलेगा तो कभी कोई और।
इंग्लैंड के मौसम के बारे में उन्होंने कहा कि हम इंग्लैंड में गर्मियों की शुरुआत में खेल रहे हैं। मैच में पूरे दिन अच्छा मौसम रहा। बादल रहे, जिस वजह से ज्यादा गर्मी न लगने से पसीना भी कम आया। ऐसी परिस्थितियों में खेलने में मजा आता है। हालांकि, यह रोहित शर्मा वाली इनिंग नहीं थी। मैंने इस मैच में अपना नेचुरल गेम नहीं खेला। मैं पिच पर रहकर खेलते हुए अपनी जिम्मेदारी निभाकर टीम को मैच जिताना चाहता था। रोहित शर्मा ने 144 गेंदों पर 13 चौके और दो छक्कों की मदद से नाबाद 122 रन बनाए थे।
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