इंग्लैंड में 30 मई से शुरू होने वाले आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप में टीम इंडिया को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। क्रिकेट के कई दिग्गज मानते हैं कि भारत के पास युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का बेहतरीन तालमेल है। इस बार विराट कोहली के कंधों पर भारत को तीसरी बार खिताब जिताने की भारी जिम्मेदारी है। साथ ही उन पर बल्लेबाजी में भी बेहतरीन प्रदर्शन करने का दबाव है। ऐसे में भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का कहना है कि किसी एक खिलाड़ी के दम पर विश्वकप नहीं जीता जा सकता है। दूसरे खिलाड़ियों को भी उसके साथ अच्छा प्रदर्शन करना होगा। हर टीम इस टूर्नामेंट में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने मैदान में उतरेगी इसलिए टीम एफर्ट दिखाना जरूरी है।
पूर्व मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि अगर आप यह सोचते हैं कि कुछ खिलाड़ियों के दम पर टीम को टूर्नामेंट में आगे तक ले जाएंगे तो आप गलत हैं। कुछ मैचों में तो ऐसा चल सकता है लेकिन सबमें नहीं। बिना टीम सपोर्ट के आप विश्वकप नहीं जीत सकते हो। बिल्कुल भी नहीं। दूसरों को भी अहम मौकों पर अपनी भूमिका निभानी होगी। ऐसा नहीं करने पर निराशा ही हाथ लगेगी।
टीम इंडिया में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए कौन बल्लेबाज उपयुक्त रहेगा, इस सवाल पर सचिन ने कहा कि इस पर मैच के हालात के मुताबिक फैसला लिया जा सकता है। हमारे पास ऐसे कई बल्लेबाज हैं, जो चौथे नंबर पर खेलने की काबिलियत रखते हैं। यह एक क्रम है और इसमें लचीलापन होना ही चाहिए। इसको मैं किसी समस्या के तौर पर नहीं देखता हूं। हमारे बल्लेबाजों ने इतना क्रिकेट खेला है कि वो किसी भी क्रम पर बल्लेबाजी कर सकते हैं।
सचिन तेंदुलकर ने एकदिवसीय क्रिकेट में बल्लेबाजों के बढ़ते वर्चस्व पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि दो नई गेंदों के आने और सपाट पिचें होने की वजह से गेंदबाजों को बहुत स्ट्रगल करना पड़ता है। एक टीम 350 रन बना रही है और दूसरी टीम उसे 45 ओवर में हासिल कर रही है। इससे क्या साबित होता है। इस पर बात की जानी जरूरी है। दो नई गेंदें चाहिए तो गेंदबाजों के लिए मददगार पिच बनाई जाए या फिर पुरानी व्यवस्था के तहत एक नई गेंद ही रहे। वैसे, विश्वकप में कलाई के स्पिनरों की भूमिका खास होगी। भारत के पास युजवेंद्र चहल और यादव जैसे दो स्पिनर हैं।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों गेंदबाजों के खराब प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि कई ऐसे गेंदबाज हैं, जिन्हें बल्लेबाज भांप लेते हैं लेकिन तब भी उन्हें विकेट मिलते हैं। मुथैया मुरलीधरन ऑफ ब्रेक और दूसरा डालते थे। उन्हें बल्लेबाजों ने समझ लिया था पर उन्हें तब भी विकेट मिलते थे। ऐसे में युजवेंद्र और यादव निराश न हों।
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