युवराज सिंह (युवराज सिंह) को हमेशा से ही बड़े मैचों का खिलाड़ी कहा जाता रहा है और उन्होंने लगातार इस बात को अपने प्रदर्शन से साबित भी किया। हालांकि इतने बड़े मैच विनर को वो विदाई नहीं मिल पाई, जिसके वो हकदार थे। भारत (Indian Team) को दो वर्ल्ड कप जिताने वाले दिग्गज युवराज सिंह ने 10 जून 2019 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था।
बाएं हाथ के दिग्गज बल्लेबाज किसी पहचान के मोहताज नहीं है और देश के वो सबसे बड़े मैच विनर में से एक हैं। युवराज सिंह ने 2000 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और जून 2017 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आखिरी मुकाबला खेला। युवराज सिंह ने अपने करियर में काफी कुछ हासिल किया, तो इसके साथ ही उन्होंने अपने करियर में उतार-चढ़ाव भी देखें हैं।
युवराज सिंह के तीनों फॉर्मेट में आंकड़े इस प्रकार है:
युवराज सिंह ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 17 शतक (14 वनडे और 3 टेस्ट) लगाए, तो गेंद के साथ उन्होंने 148 विकेट (9 टेस्ट, 111 वनडे और 28 टी20) भी लिए। 2000 में अपनी पहली ही अंतरराष्ट्रीय पारी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार अर्धशतकीय (84) पारी खेली और इस लेवल पर अपनी काबिलियत की झलक दिखाई, तो 2002 में हुए नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल में मोहम्मद कैफ के साथ ऐतिहासिक साझेदारी ने यह दिखाया कि युवराज सिंह को दबाव में शानदार प्रदर्शन करना आता है।
2005-2006 में लगातार तीन सीरीज में युवराज सिंह (दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और इ्ंग्लैंड) प्लेयर ऑफ द सीरीज बने थे। 2007 टी20 वर्ल्ड कप में भारत को कराई थी युवी ने जबरदस्त वापसी और खिताबी जीत में निभाई अहम भूमिका।
इंग्लैंड के खिलाफ करो या मरो के मुकाबले में युवराज सिंह ने स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में 6 गेंदों में 6 छक्के लगाकर इतिहास रचा और साथ ही में 12 गेंदों में टी20 अंतरराष्ट्रीय का सबसे तेज अर्धशतक भी जड़ा। (यह विश्व रिकॉर्ड अभी भी युवी के नाम ही है।)
2011 वर्ल्ड कप युवराज सिंह के करियर का टर्निंग पॉइंट और उसके बाद करियर ने लिया यू टर्न
भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका में हुए 2011 वर्ल्ड कप से पहले युवराज सिंह बिल्कुल भी फॉर्म में नहीं थे और यहां तक कि प्लेइंग इलेवन में भी उनकी जगह पक्की नहीं थी। हालांकि जैसे सब जानते हैं युवराज सिंह को बड़े मैचों में प्रदर्शन करना आता है और उन्होंने ऐसा ही कुछ करके भी दिखाया। युवी ने 2011 वर्ल्ड कप में 4 अर्धशतक और एक शतक समेत 362 रन बनाए और साथ ही में गेंद के साथ 15 विकेट लेते हुए भारत को खिताबी जीत में सबसे अहम भूमिका निभाई।
युवराज सिंह को उनके शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था। टूर्नामेंट के दौरान युवी को काफी संघर्ष करते देख गया, लेकिन तब किसी को नहीं पता था कि वो पूरा टूर्नामेंट कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के साथ खेले। यह जज्बा दिखाता है कि उन्होंने देश को वर्ल्ड कप जिताने के लिए अपनी जान तक को दांव पर लगा दिया।
2011 वर्ल्ड कप में जिस तरह का प्रदर्शन युवराज सिंह ने किया उसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि उनका करियर नया मोड़ लेगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही, लेकिन यह युवराज सिंह के पक्ष में नहीं था। युवराज सिंह ने कैंसर की जंग को जीता और एक बार फिर मैदान पर जोरदार वापसी की।
2014 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल ने उठाए थे युवराज सिंह के ऊपर सवाल?
युवराज सिंह ने कैंसर से वापस आने के बाद कई अच्छी पारियां खेली, लेकिन कभी भी वो पुरानी लय में नजर नहीं आए। 2014 टी20 वर्ल्ड कप में युवराज सिंह ने अपने करियर की सबसे खराब पारी खेली और वो पारी भी फाइनल में आई, जिसका खामियाजा भारत ने हार के चुकाया। युवी ने खुद ही इसे अपनी सबसे खराब पारी बताया और कहा कि उनके घर पर पत्थर तक फेंके गए।
जो भी युवराज सिंह को जानता है, वो इस बात से वाकिफ है कि उन्होंने कभी भी हार मानना नहीं सीखा। लोगों ने ऐसा माना कि 2014 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल के बाद उनका करियर खत्म हो गया, लेकिन 2016 में फिर से की टीम में वापसी और दिखाया कि कुछ भी ठान लो तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है।
2017 में अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेली
युवराज सिंह ने 2016 में जब वापसी की, तो ज्यादा समय तक टीम में नहीं रहे थे, लेकिन 2017 में आखिरी बार उन्होंने भारतीय टीम में वापसी की। 19 जनवरी 2017 को इंग्लैंड के खिलाफ कटक में युवराज सिंह ने मुश्किल स्थिति से न सिर्फ भारत को निकाला, बल्कि 127 गेंदों में 150 रनों की शानदार पारी भी खेली। यह उनके वनडे करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी भी थी।
इसके बाद युवराज सिंह इंग्लैंड में हुई चैंपियंस ट्रॉफी में भी खेले थे, जहां भारत को फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी। इसी टूर्नामेंट में युवी ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत को शानदार जीत भी दिलाई थी। चैंपियंस ट्रॉफी के बाद वेस्टइंडीज दौरे पर भी युवराज सिंह गए, लेकिन तीन मैचों के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और इसके बाद कभी भी टीम में वापसी नहीं कर पाए।
भारतीय टीम में वापसी नहीं कर पाए युवराज सिंह
वेस्टइंडीज दौरे के बाद युवराज सिंह को भारतीय टीम से बाहर कर दिया। इसके पीछे का कारण यो-यो टेस्ट में फेल होना बताया गया। युवी ने मेहनत करते हुए इसे पास भी किया, लेकिन भारत के लिए उन्हें दोबारा कभी नहीं चुना गया।
जिस खिलाड़ी ने अपने करियर में इतना कुछ हासिल किया, वो एक शानदार विदाई का हकदार था। हालांकि 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वर्ल्ड कप के हीरो को बेरुखी के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ा।
एक दिलचस्प बात यह भी है कि 2011 वर्ल्ड कप फाइनल खेलने वाली भारतीय टीम कभी दोबारा एक साथ कभी भी नहीं खेल पाई। युवराज सिंह अकेले ही नहीं थे, जिन्हें बिना शानदार विदाई के संन्यास लेना पड़ा। उनसे पहले वीरेंदर सहवाग, जहीर खान और गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ियों के साथ भी इसी तरह का बर्ताव देखने को मिला।