जब पिता की आंखों में पल रहे सपने को युवराज सिंह ने बनाया था हकीकत

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#2 टीम इंडिया में एंट्री

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साल 2000 वह दौर था जब भारतीय टीम के कई बड़े खिलाड़ी फिक्सिंग के दलदल में फंस कर टीम से बाहर हो चुके थे। भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली के हाथ में टीम की कमान दी गई और सौरव के सामने टीम को फिर से तैयार करन की चुनौती थी। इस दौरान सौरव ने युवराज सिंह पर भरोसा जताया और टीम में जगह दी। युवराज की बल्लेबाजी और फील्डिंग टीम में क्रांति के तौर पर सबित हुई। मैदान पर युवराज की फील्डिंग का कोई सानी नहीं था उन्हें देखकर टीम के अन्य खिलााड़ियों को भी अपनी फील्डिंग को सुधारने की बात कही गई।

युवराज सिंह ने आईसीसी नॉक-आउट ट्राफी के दौरान केन्या के खिलाफ अपना पहला मैच खेला। इस सीरीज के दूसरे ही मैच में युवी ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ 82 गेंदों पर 84 रन बनाते हुए विश्व क्रिकेट के पटल पर अपनी धाक जमा ली। 2007 टी-ट्वेंटी विश्व कप में इंग्लैण्ड के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के मारकर युवराज ने दुनिया को बता दिया की वह क्रिकेट की किताब में नई इबारत लिखने वाले हैं। इसके बाद युवराज का काफीला आगे बढ़ता गया और वह बल्ले ही नहीं गेंदबाजी से भी कमाल करने लगे।

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