आम तौर पर नापसंद करने या फिर नफरत करने को नकारात्मक काम ही माना जाता है। लेकिन फुटबॉल में यही 'नफरत', एक अलग ढंग से दिखाई देती है। फुटबॉल की फील्ड पर फैंस का जोश अपने मनपसंद क्लब को सपोर्ट करने से तो दिखता ही है, साथ ही ये जोश इस बात से भी पैदा होता है कि ये फैंस अपने फेवरेट क्लब के प्रतिद्वंद्वी से कितनी नफरत करते हैं। फैंस ये भी मानते हैं कि उनकी फेवरेट टीम इसलिए अच्छा नहीं खेल पाई क्योंकि उसका मैच टीम के चीर प्रतिद्वंद्वी से नहीं था। बस कुछ इसी तरह की 'नफरत' होती है फुटबॉल में। यहां हम बात करेंगे पांच ऐसे ही क्लब के बारे में जिनको नापसंद करने वाले काफी हैं। #5 RB Leipzig 2009 के बाद पूर्वी जर्मनी का सबसे पहला फुटबॉल क्लब लेपजिग जर्मनी के सबसे नफरत करने वाले क्लबों में शामिल हो रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि फैंस का कम होना, गेम के नियमों के प्रति लापरवाह होना या फिर क्लब के मालिकों का सिर्फ कमाई करने की ओर ध्यान देना। एनर्जी ड्रिंक 'रेड बुल' के सह मालिक इस क्लब के भी मालिक हैं। जैसे जैसे 'रेड बुल' का मार्केट बढ़ने लगा, फैंस को इस क्लब का हिस्सा बनने के लिए लगभग 800 यूरो तक देने पड़े। ये कीमत जर्मनी के किसी भी और क्लब के मेम्बर बनने से काफी ज्यादा है। हालिया दौर में मुख्य रूप से पैसा कमाने की ओर बढ़ने वाले फुटबॉल क्लबों का लेपजिग एक उदाहरण है। ये क्लब काफी हद तक सिर्फ बिजनेस करने के इरादे से चलता है। जब्कि नए खिलाड़ियों को तैयार करने और खेल की तरफ आगे बढ़ने जैसे काम में पिछड़ता जा रहा है। #4 Chelsea 'Daily mirror' द्वारा करवाए गए सर्वे में सामने आया है कि प्रीमियर लीग के सबसे नापसंद किए जाने वाले क्लबों में चेल्सी सबसे ऊपर। इस मामले में उसने मैनचेस्टर यूनाइटेड और लिवरपूल जैसों को पीछे छोड़ दिया है। रोमन इब्राहमोविक के चेल्सी को खरीदने के बाद से ही उसके अच्छे दिन शुरू हो गए। इससे पहले ये क्लब बहुत ही साधारण था, जिसे वित्तीय तौर पर डूबने से इब्राहमोविक ने ही बचाया। एस नए मालिक के आने के बाद चेस्ली ने 100 मिलियन पाउंड का बिजनेस किया। इसके चलते खिलाड़ियों पर बेइंतेहा खर्च करने के बाद ही ये क्लब बुलंदियों पर चढ़ गया। यही कारण भी है कि काफी लोगों को क्लब से नफरत और दुशमनी भी है। हालांकि पैसों के साथ साथ, चेल्सी की गेम में सफलता से भी प्रतिद्वंद्वी फैंस चिड़ते हैं। चेल्सी एक ऐसे क्लब की तरह जाना जाता है जिसने कई खिलिड़ों पर, अपनी बेसब्री और अस्थिर रवैये से, कलंक भी लगाया है। #3 Juventus इटली के इस सबसे पुराने क्लब के जहां तमाम फैंस मौजूद हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो क्लब को पूरी तरह नापसंद करते हैं। जुवेंटस के जरूरत से ज्यादा जिद्दी डिफेंस के चलते कई फैंस को उसके अटैकिंग गेम न खेलने को लेकर शिकायत है। फैंस ऐसा मानते हैं कि जब टीम के पास इतने बेहतरीन फॉर्वर्ड खिलाड़ी हैं, तो जुवेंटस को अपने खेल में गति लानी चाहिए और सीधा खेल खेलना चाहिए। रणनीतिक तौर पर अपने दमदार खेल के चलते जुवेंटस की अपार सफलता के कारण भी उसे नापसंद करने वाले काफी हैं। ये इटली का एकमात्र क्लब है जिसने सबसे ज्यादा कॉम्पिटिशन खिताब जीते हैं। कई नफरत करने वालों का यहां तक कहना है कि जुवेंटस की लगातार जीत के कारण ही खेल में कुछ नयापन या रोमांच नहीं रहता। 2006 में ‘Calciopoli scandal’ के बाद जुवेंटस का नाम विश्व भर में खराब हुआ था। इस स्कैंडल में क्लब पर मैच फिक्सिंग के संगीन आरोप लगे थे। #2 MK Dons सन 1990 की शुरुआत में इंग्लैंड के सबसे नामी क्लब में से एक Wimbledon FC पैसों की गड़बड़ी में डूब गया। इसी समय जन्म हुआ ‘एमके डॉन्स’ का। शुरुआती दौर में किसी अन्य टीम के साथ ग्राउंड शेयर करने के बाद एमके के चेयरमैन पेटे विंकलमैन ने ‘मिल्टन कीन्स’ में टीम को शिफ्ट कर दिया। इसके बाद ये ही पेटे ने क्लब को अलग ढंग से तैयार करने की कवायद शुरू की, और इस हद तक बदलाव किया कि कुछ लोग इसे नापसंद करने लगे। दरअसल लोग इस बात से नाराज थे कि पेटे क्लब को सिर्फ वित्तीय तरीके से ताकतवर बना रहे थे, लेकिन खेल को बेहतर बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे थे। विंकलमैन और उनके साथियों के विंबलडन को खत्म करने और एमके डॉन्स को तैयार करने को लेकर इस क्लब के कुछ विरोधी फैंस ने एक नया क्लब बनाया। AFC Wimbledon नाम के इस क्लब को केवल MK Dons का विरोध प्रकट करने के नजरिए से बनाया गया था। #1 Altetico de Kolkata भारत में फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए शुरू हुई इंडियन सुपर लीग (ISL) में प्रमुख रूप से कई फ्रेंचाइजी ने अपना पैसा लगाया। ऐसी ही एक फ्रेंचाइजी की टीम है एटलेटिको डी कोलकाता। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली द्वारा दो साल पहले बनाई गई इस टीम ने कुछ ही समय में अच्छा नाम कमा लिया है। हालांकि कोलकाता की नई टीम, इस शहर के फुटबॉल दीवानों के लिए पारंपरिक खेल वाली फुटबॉल टीमों से काफी अलग है। एटलेटिको डी कोलकाता के ज्यादातर सपोर्टर कोलकाता के बाहर के हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के इस पुराने शहर के लोगों में जो इज्जत और लगाव ‘ईस्ट बंगाल’ और ‘मोहन बगान’ ने बनाया है, उसका कोई सानी नहीं है। इसी के चलते फुटबॉल के दीवाने इस शहर के फैंस को, फ्रेंचाइजी और प्लेयर्स को खरीदने की ये नई नीति नापसंद है और इसलिए वो एटलेटिको डी कोलकाता को भी नापसंद करते हैं।