टाइफाइड होगा जड़ से ख़त्म, जानिए ये आयुर्वेदिक उपचार!

Typhoid will be eradicated from the root, know this Ayurvedic treatment!
टाइफाइड होगा जड़ से ख़त्म, जानिए ये आयुर्वेदिक उपचार!

टाइफाइड क्या होता है और क्या होतें है इसके लक्षण?

टाइफाइड की सबसे बड़ी पहचान है बुखार आना, सिरदर्द, पेट दर्द और उल्टी होना। इसमें से पेट दर्द और उल्टी जैसे लक्षण कई बार दिखाई नहीं देते। इसके साथ टाइफाइड में व्यक्ति को बदन दर्द होने के साथ ही बेचैनी भी रहती है। शरीर पर पसीना भी बहुत आता है। साथ ही छाती पर हल्के-हल्के दाने दिखने लगते हैं। टाइफाइड की समस्या होने पर शरीर में काफी कमजोरी भी हो जाती है ऐसे में सही समय पर इलाज करना जरूरी हो जाता है। भारत में रहने वालों के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि यहां गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज आज भी आयुर्वेद के जरिए किया जा सकता है। टाइफाइड का भी आयुर्वेद के जरिए इलाज संभव है।

टाइफाइड को ख़त्म करने के लिए प्रयोग में लाइए ये जादुई आयुर्वेदिक जड़ीबुटीयां हो सकता है फायदा:-

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खूबकला आजमाइए!

टाइफाइड बुखार होने पर खूबकला काफी लाभकारी हो सकता है। इसे आयुर्वेद में टाइफाइड के साथ ही कई और बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए खूबकला दो-तीन ग्राम, पांच मुनक्के और तीन से पांच अंजीर को 400 ग्राम पानी में डालकर गर्म कर लें। जब इसमें 100 ग्राम पानी बचे तो इन सभी को अच्छे से मिला लें। इसके बाद काढ़ा की तरह इसके रोजाना सुबह शाम सेवन करने से काफी लाभ मिलेगा।

खूबकला में विटामिन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स और ग्लूकोसिनोलेट्स नाम का तत्व पाया जाता है। ऐसे में खूबकला आपके शरीर के तापमान को नॉर्मल करने में मदद करेगा।

बिल्व फल का कीजिये सेवन

बिल्व फल का इस्तेमाल टाइफाइड की समस्या में किया जाता है। ये एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें पोषक, कामोद्दीपक और सिकोड़ने वाले गुण होते हैं। यह अग्नि को बढ़ाता है, इसलिए एक पाचन उत्तेजक के रूप में काम करता है। यह जड़ी बूटी कब्ज अपच और पेचिश जैसे विकारों के इलाज में काम आती है। शुरुआती अवस्था में इसे देने से टाइफाइड बुखार को कम किया जा सकता है।

जटामांसी का कीजिए प्रयोग

जटामांसी भी एक आयुर्वेदिक दवा है जिसमें पेट फूलना कम करने वाले, सुगंधित और पाचक गुण होते हैं। यह पेट फूलने, पीलिया, गैस्ट्रिक विकारों और टाइफाइड के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह रक्त में मौजूद अशुद्धियों को भी खत्म करने मे मदद करती है।

हरीतकी का कीजिये सेवन

टाइफाइड की समस्या
टाइफाइड की समस्या

भारत को जड़ी-बूटियों का खजाना कहा जाता है। यहां के जंगलों में आज भी एक से एक जड़ी बूटियां हैं जिनके जरिए कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जाता है। हरीतकी भी एक ऐसी जड़ी बूटी है जो एक पुनर्यौवन प्रदान करती है। यह एक मल पतला करने वाली तथा कफ निकालने वाली औषधि के रूप में कार्य करती है और शरीर के लिए एक टॉनिक है। इसके सेवन से बुखार को कम किया जा सकता है।

गुडूची का कीजिये सेवन

गुडूची का मतलब है पूरे शरीर की रक्षा करना। यह पौधा ग्लाइकोसाइड, अल्कलॉइड और स्टेरॉयड जैसे कई लाभकारी घटकों में समृद्ध है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई वर्षों से होता आ रहा है। गुडूची में दाह नाशक (जलन का इलाज), ज्वरहर (बुखार का इलाज) और मेहनाशक (चयापचय सिंड्रोम का इलाज) जैसे गुण होते हैं। गुडुची का उपयोग कई स्थितियों जैसे कि दस्त और विभिन्न प्रकार के बुखार के उपचार के लिए किया जाता है।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

Edited by वैशाली शर्मा
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