CWG 2022 : चोट की वजह से खत्म होने की कगार पर था सुशीला का करियर, जज्बे से की शानदार वापसी

सुशीला देवी ने 2014 ग्लासगो खेलों में और अब 2022 खेलों में जूडो का सिल्वर मेडल जीता है
सुशीला देवी ने 2014 ग्लासगो खेलों में और अब 2022 खेलों में जूडो का सिल्वर मेडल जीता है

भारत की जूडो खिलाड़ी सुशीला देवी ने दूसरी बार कॉमनवेल्थ खेलों में सिल्वर मेडल हासिल किया है। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों के महिला 48 किलोग्राम इवेंट के फाइनल में सुशीला को दक्षिण अफ्रीका की माइकेला व्हाइटबुई ने बेहद कड़े मैच में हराया। सुशीला फाइनल जरूर हारीं लेकिन अपने खेल, तकनीक और जज्बे से मैच देखने आए सभी दर्शकों का दिल जीत लिया। सुशीला ने 2014 के ग्लासगो खेलों में भी सिल्वर जीता था। लेकिन उसके बाद का सफर उनके लिए इतना आसान नहीं रहा।

27 साल की सुशीला ने 2018 में एक समय खेलों से किनारा करने की सोच ली थी। दरअसल 2014 के कॉमनवेल्थ में सिल्वर जीतने के बाद 2018 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने की ठानी। लेकिन एशियन गेम्स के लिए हो रहे ट्रायल के दौरान सुशीला को हैमस्ट्रिंग टियर हुआ जिस कारण न सिर्फ वो एशियन गेम्स के लिए जाने में नाकामयाब रहीं बल्कि उनकी चोट से खेल पर असर पड़ने का खतरा हो गया। सुशीला के लिए कई दिनों तक सही से चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया था।

एक मुकाबले में अपने विरोधी के खिलाफ दांव लगाती सुशीला देवी
एक मुकाबले में अपने विरोधी के खिलाफ दांव लगाती सुशीला देवी

सुशीला डिप्रेशन में चली गईं थीं और खेल छोड़ने का मन बना चुकी थीं, लेकन तब कोच ने सहारा दिया और मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए लगातार मनोबल बढ़ाया। सुशीला अपने घर इम्फाल( मणिपुर) में ही थीं और धीरे-धीरे खुद को हौसला देती रहीं। कुछ समय बाद 2019 के साउथ एशियाई खेलों में सुशीला ने गोल्ड जीता ।

48 किलो ग्राम महिला जूडो की मेडल सेरेमनी में पोडियम पर खड़ीं सुशीला (बाएं)
48 किलो ग्राम महिला जूडो की मेडल सेरेमनी में पोडियम पर खड़ीं सुशीला (बाएं)

2021 में होने तय हुए टोक्यो ओलंपिक के लिए किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में एशिया-ओशियाना क्वालिफायर्स के लिए जो भारतीय दल गया उसके दो खिलाड़ी कोविड पॉजिटिव पाए गए। ऐसे में सुशीला समेत पूरी भारतीय टीम को क्वालिफायर से लौटा दिया गया। सुशीला का टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने का सपना टूट गया।

लेकिन इसके बाद सुशीला की किस्मत ने साथ दिया और वह महाद्वीपीय कोटा के जरिए जूडो में टोक्यों ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली इकलौती भारतीय बनीं। हालांकि सुशीला शुरुआती बाउट में हार गईं, लेकिन अब कॉमनवेल्थ में मेडल जीत सुशीला ने ओलंपिक की हार के गम को काफी कम किया है।

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