प्रो कबड्डी 2019 में यूपी योद्धा की शुरुआत बेहद खराब रही थी और तब किसी को उम्मीद नहीं थी कि वो प्लेऑफ में पहुंचने में कामयाब होंगे। हालांकि ग्रेटर नोएडा लेग के पहले दिन यूपी योद्धा ने दबंग दिल्ली को शिकस्त देते हुए प्ले ऑफ में अपना स्थान पक्का किया।
यूपी योद्धा की जबरदस्त वापसी में टीम के स्टार रेडर श्रीकांत जाधव का भी अहम योगदान रहा, जिन्होंने रेडिंग की जिम्मेदारी उठाते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने इस सीजन में खेले 19 मुकाबलों में 3 सुपर 10 की मदद से 123 रेड पॉइंट्स और 3 टैकल पॉइंट्स हासिल किए हैं। उन्होंने टीम को रिशांक देवाडिगा और मोनू गोयतU की कमी नहीं खलने दी।
श्रीकांत जाधव ने दबंग दिल्ली के खिलाफ हुए मुकाबले के बाद स्पोर्ट्सकीड़ा के खास बातचीत की:
-मौजूदा सीजन आपने एक मुख्य रेडर की भूमिका निभाई आपके ऊपर किस तरह का दबाव था और अपने प्रदर्शन को लेकर क्या कहना चाहेंगे?
-पिछले सीजन की तुलना में यह सीजन काफी अच्छा रहा है मेरा। इस बार मैं मेन रेडर के तौर पर खेल रहा हूं और मुझे खुशी है कि मेरा प्रदर्शन भी अच्छा रहा है और साथ ही में टीम भी क्वालीफाई कर गई। मेन रेडर के ऊपर दबाव काफी रहता है, टीम को संभालना और साथ ही में मौके पर पॉइंट लेकर आना। कोच की तरफ से मुझे काफी भरोसा मिला और इसलिए मैं खुलकर भी खेला।
-आपने कबड्डी खेलना कब शुरू किया और कब इस फील्ड में करियर बनाने का फैसला किया?
-मैं 2007 में अपने गांव में ही कबड्डी खेलना शुरू किया था। उस समय यह नहीं पता था कि कबड्डी इतने ऊंचे स्तर तक पहुंचेगा। इसके बाद मैं मुंबई में आया और सरकारी होस्टल में रहा, जहां कबड्डी की ट्रेनिंग दी जाती है। मुझे वहां नितिन मदने जैसे बड़े खिलाड़ी मिले, उन्होंने मुझे काफी सपोर्ट किया और साथ ही में काफी कुछ सिखाया भी। मेरे पिताजी किसान हैं और मैंने सोच रखा था कि मुझे करके दिखाना है। मैंने मेहनत की और फिर प्रो कबड्डी में चयन भी हुआ। इसके बाद मुझे जॉब भी मिली, तो काफी खुशी होती है।
-कबड्डी में आने के लिए परिवार की तरफ से किस तरह का समर्थन मिला?
-मेरे पास परिवार का सपोर्ट नहीं था, क्योंकि हम बड़ी जगह से नहीं आते हैं। इस खेल में काफी रिस्क रहता है और घरवाले हमेशा कहते थे कि पढ़ाई कर। हालांकि मुझे खेलना ही था और इसलिए कबड्डी को ही चुना।
-आप अनूप कुमार के साथ भी खेले हैं, उनसे क्या-क्या सीखा आपने?
-अनूप कुमार कबड्डी के मास्टर हैं। वो ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनसे काफी कुछ सीख सकते हैं जैसे टीम को कैसे संभालना है, किस तरह हौसला बढ़ाना है, परफॉर्मेंस कैसा करना है और कोई खिलाड़ी डाउन हो तो उसे किस तरह मोटिवेट करना है।
-आप इस समय कबड्डी नहीं खेल रहे होते तो अपने आप को किस फील्ड में देखते?
-मैं इस समय कबड्डी नहीं खेल रहा होता तो यहां तो पुलिस में होता या कोई नौकरी कर रहा होता।