आर्मी में जाना था, लेकिन बने PKL के पोस्टर बॉय, जानिए कैसे राहुल चौधरी ने सपनों को सच किया और सभी के दिलों पर कर रहे हैं राज

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PKL 2022 में जयपुर पिंक पैंथर्स के लिए खेलने वाले हैं राहुल चौधरी

प्रो कबड्डी लीग (Pro Kabaddi League) के पिछले 8 सीजन में कई बेहतरीन खिलाड़ी देश को मिले हैं, जिन्हें हर कोई खेलते हुए देखना चाहता है। ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं राहुल चौधरी (Rahul Chaudhari) जिन्हें PKL का पोस्टर बॉय भी कहा जाता है। राहुल उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से हैं जो पहले सीजन से खेल रहे हैं और लगातार अपनी छाप छोड़ने में भी कामयाब रहे रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के एक गांव से आने वाले राहुल चौधरी का सफर इतना ज्यादा आसान नहीं था। आर्मी में जाने का सपना, अच्छी जॉब पाने का ख्वाब, कबड्डी खेलने के लिए स्कूल को बंक करना और फिर इसी वजह से अपने पिता से मार खाना। डिफेंडर के तौर पर खेल की शुरुआत करना और फिर रेडर बनना। राहुल ने तमाम चुनौतियों का बखूबी सामना किया और परिणाम हर किसी के सामने हैं कि आज वो किस मुकाम पर हैं और सभी के दिलों पर राज कर रहे हैं।

राहुल चौधरी ने हाल ही में अपने कबड्डी सफर को लेकर स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी से खास बातचीत की और इस दौरान उन्होंने कहा,

"हम गांव में कबड्डी खेलते थे और यह बहुत ही प्यारा खेल है। हालांकि गांव में आर्मी और पुलिस का बहुत क्रेज़ होता है। मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे पुलिस में चले जाए। मेरा सिर्फ यह रहता था रनिंग करके आर्मी में भर्ती में हो जाएंगे और इस दौरान हम कबड्डी तो खेलते ही थे। मुझे यह नहीं पता था कि कबड्डी से जॉब मिल सकती है या यह नेशनल और इंटरनेशनल गेम है। SAI गांधीनगर गुजरात का ट्रायल चल रहा था और मैं अपना वर्कआउट खत्म करने के बाद वहां चला जाता था। मेरी स्पीड अच्छी थी और उस समय मेरा वजन 58 किलो था। मैंने काफी अच्छा किया और वहां जो मैम थीं (जो इस समय मेरी भाभी हैं) उन्होंने मुझे बताया कि मैं बहुत अच्छा कबड्डी खिलाड़ी हूं। मैंने कहा मुझे आर्मी में जाना है, लेकिन उन्होंने कहा कि मेरा गेम इतना अच्छा है कि इससे ही जॉब मिल जाएगी।"

PKL में 900 से ज्यादा रेड पॉइंट्स हासिल कर चुके राहुल चौधरी ने अपने करियर की शुरुआत एक डिफेंडर के तौर पर की थी। राहुल ने डिफेंडर से रेडर बनने के बारे में बात करते हुए कहा,

"मैंने डिफेंडर के तौर पर खेलना शुरू किया, लेकिन गुजरात में मेरे सीनियर बहुत अच्छे थे। ONGC टीम में सभी इंटरनेशनल खिलाड़ी थे और उनके बीच मैंने अभ्यास किया। इसमें जोगिंदर नरवाल, मनप्रीत, राजेश नरवाल जैसे खिलाड़ी थे। उन्हें देखकर मैं कॉर्नर खेलता था और उस समय हमारे दोनों कॉर्नर सीनियर थे। इसी वजह से मेरा नंबर तीसरे पर आता था। कई बार खेलने का मौका नहीं मिलता था और नर्वस भी होते थे। मुझे जो चाहिए था, वो नहीं मिल पा रहा था। मैं खेलूंगा नहीं, लोग देखेंगे नहीं, तो जॉब ही नहीं मिलेगी। उस समय जॉब चाहिए थी और वो ही मेन लक्ष्य था। मैंने अभ्यास के दौरान रेडिंग की शुरुआत की और मैं हैंड टच अच्छा करता था। कोच ने भी कहा कि मैं अच्छा रेडर बन सकता हूं, क्योंकि डिफेंस मुझे आउट नहीं कर पा रही थी। एक-दो टूर्नामेंट में मैंने अच्छा किया। SAI में हमारे पास रेडर थे भी नहीं, क्योंकि सभी को जल्दी जॉब मिल जाती थी। इस दौरान नेशनल्स में मेरा चयन हुआ, लेकिन खेलने का मौका दूसरे सीजन में मिला। मैंने उसमें अच्छा किया और टीम को कई मैचों में जीत दिलाई। इसके बाद से मैं यूपी के लिए खेल रहा हूं और कप्तानी भी कर रहा हूं।

SAI के बाद राहुल चौधरी के करियर का अगला टर्निंग पॉइंट AIR India साबित हुआ। AIR India में अपने चयन को लेकर उन्होंने कहा,

"नेशनल्स में खेलते हुए पता चला महाराष्ट्र की टीम काफी ज्यादा मजबूत है। मैंने उनके खिलाफ बहुत अच्छा किया और इसी वजह से मुझे AIR India का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला। वहां पर मैं अजय ठाकुर से मिला और उन्होंने मेरी तारीफ की। लोग हम दोनों को भाई कहते थे। मेरे करियर का पहला टर्निंग पॉइंट SAI गांधीनगर है और दूसरा AIR India है। इसके बाद मैंने अलग-अलग टूर्नामेंट खेले और ऐसी कोई टीम नहीं थी, जिसे हमने नहीं हराया। मुझे नौकरी मिली और फिर PKL आ गया। हम सोचते थे कि हमें बस कोई अपनी टीम में शामिल कर ले। मुझे सबसे पहली नीलामी में 8 लाख 20 हज़ार में खरीदा गया था। मुझे फर्स्ट सीजन के बाद पोस्टर बॉय और रेडिंग मशीन का नाम मिला। काफी खुशी हुई कि राकेश, अनूप कुमार जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के बीच अपना नाम बना पाया। मुझे नहीं लगा था कि मैं इतना अच्छा कर पाऊंगा।

Pro Kabaddi League, PKL स्टार राहुल चौधरी कबड्डी खेलने के लिए स्कूल को करते थे बंक

कबड्डी में भले ही राहुल चौधरी का नाम बहुत बड़ा है, लेकिन अपने करियर की शुरुआत में परिवार को मनाना उनके लिए बड़ा चैलेंज रहा और इस दौरान अपने पिता से उन्हें मार भी खानी पड़ी। राहुल ने कहा,

"शुरुआत में मुझे बिल्कुल समर्थन नहीं मिलता था। पढ़ाई की वजह से पापा से मार भी खानी पड़ती थी। भाई मेरा कबड्डी खेलता था और उन्होंने मुझे काफी सपोर्ट किया। मैं रात को खेलने के लिए निकल जाता और फिर सुबह डांट भी पड़ती थी। कई बार स्कूल को बंक करके कबड्डी खेलने गए और पापा को पता चला कि मैं स्कूल गया ही नहीं। घर पहुंचने के बाद झूठ पकड़ा गया और फिर हमारी पिटाई होती थी। ऐसे बहुत से किस्से हमारे रहे हैं।"

राहुल चौधरी ने अपने करियर में लगभग सब कुछ हासिल कर लिया है और इसी वजह से फैंस फेवरिट हैं और उनके दिलों पर राज कर रहे हैं। अब उनकी नज़र PKL का खिताब जीतते हुए सभी को गलत साबित करने पर हैं।

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Edited by मयंक मेहता
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