जैवलिन थ्रोअर ना होते तो शाहीन अफरीदी को देते टक्कर! अरशद नदीम का खास सपना रह गया अधूरा

Sneha
Who is Arshad Nadeem
अरशद नदीम की जीत ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया है(Pic Credit - Instagram/arshadnadeem29/x@TheBombayBombil)

Arshad Nadeem Wanted To Become Cricketer: अरशद नदीम इस वक्त ऐसा नाम बन चुका है, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। दरअसल पिछली रात ओलंपिक के भाला फेंक मुकाबले में गोल्ड मेडल जीतने के बाद अरशद हर ओर छा चुके हैं। उनकी इस जीत ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया है। ये मैच भारत के जाने-माने खिलाड़ी नीरज चोपड़ा और अरशद के बीच था, जिसमें अरशद ने गोल्ड मेडल पर अपनी पकड़ बनाई, तो वहीं नीरज चोपड़ा के हिस्से सिल्वर मेडल आया। ओलंपिक मैच में पाकिस्तान के हिस्से सोने का पदक जीतने वाले अरशद का सफर बहुत संघर्षों से होकर गुजरा है। भले ही आज उन्हें शोहरत हासिल हो चुकी है, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी पापड़ बेले हैं। उनकी ये जीत न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा देने वाली है। ऐसे में आइए जानते हैं अरशद नदीम के सफर के बारे में।

कौन हैं अरशद नदीम?

अरशद नदीम को आज किसी भी परिचय की जरूरत नहीं है। लेकिन ये पहचान बनाने के लिए उन्होंने काफी कुछ सहा है। 27 वर्षीय नदीम का जन्म 2 जनवरी 1997 को पाकिस्तान के पंजाब में मियां चुन्नू शहर के पास एक छोटे से कस्बे में हुआ था। यह लाहौर से करीब 300 किलोमीटर दूर है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आजादी से पहले नीरज चोपड़ा का परिवार भी इसी इलाके में रहा करता था।

अपने सात भाई-बहनों में नदीम तीसरे नंबर पर हैं। उनके पिता मोहम्मद अशरफ एक रिटायर्ड निर्माण मजदूर हैं। नदीम को बचपन से ही खेलने में काफी दिलचस्पी थी। लेकिन उनका ज्यादा लगाव क्रिकेट के साथ था। हालांकि उनके परिवार ने उन्हें क्रिकेट खेलने से मना कर दिया था। उन्होंने बताया कि वो एक अच्छे गेंदबाज थे। उसके बाद अरशद ने एथलेटिक्स में हाथ आजमाया और जैवलिन थ्रो को अपने पसंदीदा खेल के तौर पर चुना।

अरशद नदीम की उपलब्धियां

पाकिस्तान के एक छोटे से गांव से लेकर पेरिस के ओलंपिक खेलों तक का सफर अरशद के लिए आसान नहीं था। भले ही आज देखने में लगता हो कि उन्हें रातों-रात शोहरत हासिल हुई हो, लेकिन इसके पीछे सालों की मेहनत छुपी हुई है। अरशद को ओलंपिक तक पहुंचने के लिए कोई भी सरकारी सहायता नहीं मिली, यहां तक कि उनके खेलों का खर्चा उनके आसपास के लोग पैसे इकट्ठे कर उठाया करते थे। 2022 में नदीम ने राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद 2023 में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था। इसके बाद अब पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया है।

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Edited by सावन गुप्ता
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