Paris Olympics 2024 Avinash Sable life journey: पेरिस ओलंपिक में यानि पांच अगस्त को भारत के अविनाश साबले इतिहास रचकर 3000 मीटर स्टीपलचेज के फाइनल में पहुंच गए हैं। अविनाश साबले ऐसा करने वाले पहले भारतीय पुरुष हैं। स्टीपलचेज में फाइनल के लिए तीन रेस यानी हीट होती हैं। हर रेस से पांच एथलीट फाइनल में पहुंचते हैं। इस तरह फाइनल में पहुंचने वालों की संख्या 15 होती है।
गरीबी और संघर्ष में बीता अविनाश का बचपन
अविनाश साबले का जन्म 13 सितंबर 1994 को महाराष्ट्र के बीड जिले में अष्टि तालुका के एक छोटे से गांव मंडवा में हुआ था। गरीब परिवार में जन्मे अविनाश का बचपन गरीबी और संघर्ष में बीता था।
मजदूर होने के बावजूद शिक्षा को दिया महत्व
एक इंटरव्यू में अविनाश साबले ने कहा था कि ईंट-भट्टे में काम करने के बाद भी माता-पिता ने हमेशा से शिक्षा को महत्व दिया है. वह अपने सभी बच्चों को उच्च शिक्षा देने का सपना देखते थे। तीन भाई-बहनों में अविनाश सबसे बड़े हैं कम उम्र में ही वह अपने माता- पिता की दिक्कत समझने लगे थे।
माता- पिता को संघर्ष करता देख...
अविनाश बताते हैं, कि मेरे माता-पिता दोनों मजदूर थे और ईंट-भट्टे पर काम करने जाते थे। जिसकी वजह से मां सुबह ही हम लोगों का खाना बनाकर रख देती थी। माता -पिता को दिन रात मेहनत करता देख मन में अपने माता-पिता के संघर्ष में हाथ बंटाने की इच्छा बचपन से ही थी।
असफलता की वजह से सेना ज्वाइन करने का बना लिया था मन
अविनाश के लिए स्पोर्ट्स के शुरुआती करियर में लगातार असफलता ही हाथ लगी जिसके बाद अविनाश ने सेना जॉइन करने का फैसला किया था। लेकिन नियती को कुछ और ही मंजूर था। अविनाश को एक बार फिर से रेसिंग के ट्रैक पर ला दिया और आज अविनाश अपनी मेहनत और लगन से शीर्ष पर पहुंच गए हैं।
पेरिस ओलंपिक में भारत के एथलीट्स ने खास प्रदर्शन अभी तक नहीं किया है। लेकिन कुछ खिलाड़ी जिनसे उम्मीदें हैं, उन्हीं में से एक अविनाश साबले भी हैं। पहले मनु भाकर ने दो ब्रॉन्ज मेडल जीतकर फिर स्वप्निल कुशाले ने भी ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया। अब अविनाश सांबले इतिहास रचकर 3000 मीटर स्टीपलचेज फाइनल में पहुंच गए हैं और देश के नाम एक मेडल और कर सकते हैं।।