रियो में जारी पैरालंपिक्स में भारत को तीसरा मेडल मिला। भारत की दीपा मलिक ने शॉट पुट में सिल्वर मेडल हासिल किया। दीपा मलिक ने F53 शॉटपुट इवेंट में 4.61 के थ्रो के साथ सिल्वर मेडल पर कब्जा किया। दीपा देश में पैरा खेलों का सबसे जाना-माना चेहरा मानीं जाती हैं। दीपा जब छोटी थी, तो उन्हें स्पाइनल कोर्ड में ट्यूमर हो गया था, जिसकी वजह से उनकी छाती से नीचे का हिस्सा नहीं हिला पाती और वो वीलचेयर पर रहती हैं। दीपा ने अपने मजबूरी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। दीपा मौजूदा समय में HRD मंत्रालय द्वारा स्पोर्ट्स डेवलपमेंट और फिजीकल एजुकेशन में सुधार के लिए बनाई गई कमेटी की सदस्य हैं। दीपा मलिक के बारे में कुछ ऐसी बातें जिन्हें कम ही लोग जानते हैं। -दीपा को 6 साल की उम्र में ट्यूमर हुआ था, जिसका पता शुरुआती स्टेज में चल गया था। वो बिना किसी परेशानी के 3 साल में रिकवर कर गई। लेकिन साल 1999 में ट्यूमर फिर से आ गया और उन्हें बताया गया कि अब उनकी आगे की जिंदगी वीलचेयर पर बीतेगी। दीपा के शरीर में 200 टांके लगे हुए हैं। उनका छाती के नीचे का हिस्सा जरा भी मूमेंट नहीं करता। -उनकी बड़ी बेटी जब 1 साल की भी नहीं हुई थी, तब उसे बाइक से चोट लगी थी। चोट की वजह से बच्ची को कुछ दिनों के लिए आईसीयू में भर्ती कराया गया। एक्सीटेंड की वजह से उनके शरीर के बाएं हिस्से पर लकवा मार गया। उस घटना के बाद दीपा ने अपने घर के वीलचेयर फ्रैंडली बनाया और अक्षम लोगों की मदद में जुट गई। -दीपा ने खुद के लिए एक बिजनेस भी शुरु किया। खेलों में रूचि के अलावा उन्हें आर्मी क्वार्टर में केटरिंग का काम शुरु किया। उनकी केटरिंग सर्विस के जरिए एक बार में 250 लोगों के लिए खाना तैयार किया जा सकता था। ये एक आर्मी ऑफिसर की पत्नी दीपा का पहला ऐसा काम था। -दीपा ने कभी भी पैरालंपिक्स में हिस्सा लेने के बारे में नहीं सोचा था। स्पोर्ट्स अथॉरिटी के एक सदस्य ने उन्हेें स्वीमिंग की प्रैक्टिस करते हुए देखा था। जिसके बाद उन्हें क्वालालंपुर में 2006 में होने वाले FESPIC गेम्स में महाराष्ट्र सरकार की ओर से न्यौता दिया गया। दीपा ने उस साल S5 बैकस्ट्रोक इवेंट में सिल्वर मेडल जीता। -2008 में दीपा ने यमुना नदी के बहाव के विपरीत 1 किमी तक तैराकी की। दीपा के नाम 4 लिम्का एडवेंचर रिकॉर्ड्स हैं। -मार्च 2016 में दीपा ने दुबई में हुए IPC ओसियाना एशियन चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीता था। उसी कॉम्पीटीशन में उन्हें शॉटपुट में सिल्वर मेडल जीता। -मोटर स्पोर्ट्स, जैवलिन, शॉटपुट औऱ स्वीमिंग के अलावा दीपा ने डिस्कस थ्रो में भी मेडल जीते हैं। उन्हें 2012 में मलेशिया ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में F53 डिस्कस में गोल्ड जीता था। उन्होंने उस समय के रिकॉर्ड को तोड़कर गोल्ड हासिल किया था। दीपा को पीटी ऊषा और मिल्खा सिंह भी सम्मानित कर चुके हैं। -उन्होंने देश के 2 सबसे कठिन रास्तों वाली कार रैलियों में हिस्सा लिया है। उन्होंने हिमालयन रेस और डेजर्ट रेस में हिस्सा लिया है। इस दौरान उन्होंने 0 से कम तापमान में करीब 8 दिन बिताए हैं। -वो पहली दिव्यांग शख्स हैं, जिन्हें फेडरेशन ऑफ मोटर स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया ने रैली लाइसेंस दिया है। वो स्पेशल तरीके से तैयार किए गए वाहन को चलाती हैं। - दीपा को 42 साल की उम्र में 2012 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वो अर्जुन अवॉर्ड पाने वालीं सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं।