धर्मबीर ने रिकॉर्ड थ्रो से जीता Paris Paralympics में गोल्ड, प्रणव सूरमा के खाते में आया सिल्वर

धर्मबीर ने मेंस क्लब थ्रो में भारत को दिलाई सफलता (Photo Credit: X/@SportsArena1234)
धर्मबीर ने मेंस क्लब थ्रो में भारत को दिलाई सफलता (Photo Credit: X/@SportsArena1234)

Dharambir and Pranav Soorma wins medals club throw F51 event: पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की तरफ से शानदार प्रदर्शन जारी है और एक के बाद एक मेडल आ रहे हैं। भारत के धर्मबीर ने पैरालंपिक पुरुषों के क्लब थ्रो F51 इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। धर्मबीर 34.92 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ टॉप पर रहे और उन्होंने एशियाई रिकॉर्ड को तोड़ दिया। वहीं, इसी इवेंट में अन्य भारतीय प्रणव सूरमा ने 34.59 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सिल्वर मेडल पर कब्जा किया। इस तरह पोडियम पर दो भारतीय ने तिरंगे की शान बढ़ाने का काम किया। इससे पहले भारत ने कभी भी क्लब इवेंट में मेडल नहीं जीता था लेकिन अब एक साथ दो पदक आ गए। इस तरह पैरालंपिक में भारत के पदकों की संख्या 24 हो गई है।

चार असफल प्रयासों के बाद धर्मबीर ने रचा इतिहास

धर्मबीर के पहले चार प्रयास सफल नहीं रहे और फाउल हुआ। हालांकि, इसके बाद वह अपने पांचवें थ्रो में एशियाई रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब रहे। धर्मबीर ने अपने पांचवें प्रयास में 34.92 मीटर का थ्रो किया, जबकि छठे प्रयास में 31.59 का थ्रो किया। इस तरह उन्होंने पहला स्थान हासिल करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। धर्मबीर ने इससे पहले 2022 की शुरुआत में हांग्जो में एशियाई पैरा गेम्स में रजत पदक जीता था। बता दें कि नहर में डुबकी लगाने में गलती करने के बाद धर्मबीर की कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था।

प्रणव सूरमा ने भी नहीं किया निराश

एक तरफ धर्मबीर ने गोल्ड पर कब्जा किया, वहीं इसी स्पर्धा में प्रणव सूरमा ने दूसरा स्थान हासिल करते हुए सिल्वर मेडल जीता। प्रणव ने अपने पहले ही प्रयास में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 34.59 मीटर का थ्रो किया। इसके बाद, अगले प्रयास में 34.19 मीटर का थ्रो किया। तीसरा प्रयास फॉल के कारण मान्य नहीं हुआ, जबकि चौथे प्रयास में 34.50 मीटर का थ्रो किया, जबकि पांचवां थ्रो 33.90 मीटर का रहा। वहीं, छठे थ्रो में 33.70 मीटर की दूरी तय करने में सफलता हासिल की। बता दें कि सूरमा 16 साल के थे जब उनके सिर पर सीमेंट की चादर गिर गई, जिससे रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई और वह लकवाग्रस्त हो गए। उन्होंने अस्पताल में छह महीने बिताए, डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वह फिर कभी नहीं चल पाएंगे। अस्पताल में रहते हुए उनके दोस्तों ने उन्हें पैरा स्पोर्ट्स से परिचित कराया था।

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Edited by Prashant Kumar
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