Kapil Parmar Won Bronze Medal Life Journey: भारतीय खिलाड़ी कपिल परमार ने भारत को जूडो में पहला पैरालंपिक पदक दिलाया। कपिल परमार ने गुरूवार को जे1 60 किग्रा पुरुष पैरा जूडो स्पर्धा में ब्राजील के एलिल्टोन डि ओलिवेरा को हराकर रिकॉर्ड 10-0 से कांस्य पदक जीता। इससे पहले वह सेमीफाइनल में ईरान के एस बनिताबा खोर्रम अबादी से पराजित हो गए थे। परमार ने 2022 एशियाई खेलों में इसी वर्ग में रजत पदक जीता था। पेरिस पैरालंपिक में सभी खिलाड़ी अपना दम दिखा रहे हैं।
शानदार प्रदर्शन करते हुए कोई ब्रॉन्ज तो कोई गोल्ड मेडल जीत रहा है। वहीं पेरिस पैरालंपिक में भारत को जूडो खेल में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने वाले कपिल परमार के जीवन के कहानी काफी अलग है। उन्होंने अपने बचपन में हर चीज में संघर्ष किया, शारीरिक हो या फिर मानसिक। जहां मामूली इंसान थक-हार कर बैठ जाता है। वहीं कपिल परमार ने अपनी मेहनत और संघर्ष से पेरिस पैरालंपिक में अपने नाम का परचम लहराया। इसी कड़ी में आपको कपिल के जीवन के कुछ किस्से बताएंगे, जिससे हर कोई अपने जीवन में प्रेरणा ले सकता है।
पूरे परिवार का सहयोग मिला...
भारतीय खिलाड़ी कपिल परमार आज जिस जगह हैं उसमें उनके परिवार का बहुत योगदान है। परमार मध्य प्रदेश के शिवोर नाम के एक छोटे से गांव से हैं। कपिल परमार के पिता टैक्सी चालक हैं। पिता के पैसो से घर खर्च बहुत मुश्किल से चल पाता था, ऐसे में कपिल के खेल के लिए उनके पिता उन पर खर्च नहीं कर पाते थे। कपिल को बचपन से ही जूडो खेलना पसंद था। तमाम समस्याओं के बावजूद परमार ने जूडो के प्रति अपने जुनून को कभी नहीं छोड़ा। उनकी बहन एक प्राथमिक विद्यालय चलाती है।
बचपन में दुर्घटना के शिकार हो गए थे...
कपिल परमार के साथ बचपन में एक दुर्घटना हो गई थी। दरअसल जब वह छोटे थे तब वह अपने गांव के खेतों में दोस्तों के साथ खेल रहे थे। खेलते- खेलते उन्होंने गलती से पानी के पंप को छू लिया, जिससे उन्हें बिजली का जोरदार झटका लगा। परमार को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां वह छह महीने तक कोमा में रहे, इतना सब होने के बाद भी परमार अपने जीवन में रूके नहीं।