गांव वाले बुलाते थे पागल, फिर भी नहीं टूटा हौसला; Paris Paralympics में रचा इतिहास

दीप्ती जीवनजी
दीप्ति जीवनजी मेडल जीतने में कामयाब रहीं (photo credit: X/narendramodi, @CricCrazyJohns)

Paris Paralympics 2024 Medalist Deepthi Jeevanji Life journey: कहते हैं कि हौसले बुलंद हों तो इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है, बस मन में दृढ़ निश्चय होना चाहिए। कुछ ऐसी ही कहानी दीप्ति जीवनजी की है, जिन्होंने पेरिस पैरालंपिक 2024 में महिलाओं की 400 मीटर टी20 स्पर्धा के फाइनल में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। पैरा एथलीट ने यह दौड़ 55.82 सेकंड में पूरी की।

दीप्ति जीवनजी ने इससे पहले जापान के कोबे में विश्व एथलेटिक्स पैरा चैंपियनशिप में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता था। दीप्ति के जीवन की कहानी अन्य लोगों से बहुत अलग है। उन्हें लोग पागल कहकर बुलाते थे लेकिन अब उन्होंने पेरिस पैरांलपिक में इतिहास रचा। यहां तक पहुंचने के लिए दीप्ति ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। इसी कड़ी में हम आपको दीप्ति के बचपन के कुछ किस्सों के बारें में बताएंगे।

गांव के लोग बुलाते थे पागल

दीप्ति जीवनजी आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले के कल्लेडा गांव की रहने वाली हैं। दरअसल, जब दीप्ति का जन्म हुआ था तो वह अन्य बच्चों से काफी अलग थीं। उनका सिर बहुत छोटा था, साथ ही होंठ और नाक भी अन्य बच्चों से अलग थे, जिसकी वजह से गांव में दीप्ति का बहुत मजाक बनता था और बच्चे उन्हें चिढ़ाते भी थे। गांव के लोग दीप्ति की मां पर दबाव बनाते थे कि वह अपनी बच्ची को अनाथालय भेज दें। यह सुनकर दीप्ति को बहुत बुरा लगता था और उन्हें रोना भी आता था। लेकिन परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया। परिवार के सहयोग से और अपने हुनर की वजह से पैरांलपिक में दीप्ति ने अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया है। अन्य बच्चों से अलग होने के बावजूद दीप्ति ने कभी भी इस समस्या को अपने रास्ते का रोड़ा नहीं बनने दिया।

भारत ने तोड़ा मेडल का अपना रिकॉर्ड

पैरांलपिक में पिछले दो दिन में भारत की तरफ से जबरदस्त प्रदर्शन देखने को मिला है और एक के बाद एक कई मेडल आ चुके हैं। भारत ने पेरिस में पदकों की संख्या 21 तक पहुंचा दी है और पैरालंपिक में अपने सबसे ज्यादा मेडल जीतने के पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। टोक्यो में भारत के खाते में 19 मेडल आए थे।

Edited by Prashant Kumar
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