हरमीत देसाई - सूरत के रहने वाले इस गुजराती बेटे ने कॉमनवेल्थ गेम्स में टेबल टेनिस टीम स्पर्धा का गोल्ड देश को दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। हरमीत ने सिंगापुर के खिलाफ हुए पुरुष टीम फाइनल में साथियान ज्ञानशेखरन के साथ शुरुआती डबल्स मैच जीता और फिर सिंगल्स में चौथे मुकाबले को जीतकर टीम का गोल्ड मेडल पक्का कर दिया। हरमीत सिंगल्स और डबल्स, दोनों में ही बेहतरीन खिलाड़ी हैं। लेकिन मेडल को पाने के लिए खेल के अलावा खाने पर खास ध्यान देते हैं। कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारी के लिए हरमीत ने मिठाई और चावल को अलविदा कह दिया था, लेकिन इसका मीठा फल गोल्ड के रूप में उन्हें मिला है।
19 जुलाई 1993 में सूरत, गुजरात में जन्में हरमीत ने 6 साल की उम्र में ही टेबल टेनिस का रैकेट उठा लिया था। हरमीत ने एक इंटर्व्यू में बताया था कि उन्हें टेबल टेनिस से दूर रहने पर बेचैनी होने लग जाती है और इसी वजह से बहुत कम काम परिवार के साथ बिता पाते हैं क्योंकि अधिकतर समय वह टूर्नामेंट की प्रैक्टिस के लिए दुनियाभर में ट्रैवल कर रहे होते हैं।
हरमीत 2018 के गोल्ड कोस्ट खेलों में देश के लिए गोल्ड जीतने वाली पुरुष टेबल टेनिस टीम का भी हिस्सा थे। इसके बाद 2018 के एशियन गेम्स में ऐतिहासिक टीम ब्रॉन्ज जीतने वाली भारतीय टीम में भी हरमीत शामिल थे । हरमीत आईसक्रीम और मीठे के काफी शौकीन रहे हैं लेकिन टूर्नामेंट की तैयारी में अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए उन्होंने मिठाई नहीं खाई और चीनी से बनी किसी भी चीज को काफी लंबे समय तक हाथ नहीं लगाया। उन्होंने पुरुष डबल्स का भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
साल 2019 में हरमीत को खेलों में बेहतरीन योगदान के लिए अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा गया। इसी साल नवंबर में हरमीत ने इंडोनिशिया ओपन ITTF टाइटल जीतने में कामयाबी हासिल की। हरमीत ने 2019 में ही भारत में हुई कॉमनवेल्थ टेबल टेनिस चैंपियनशिप का सिंगल्स खिताब साथी खिलाड़ी साथियान ज्ञानशेखरन को हराकर जीता था। हरमीत 2014 में भी भारत की कॉमनवेल्थ गेम्स की टीम का हिस्सा थे।