शरत कमल भारतीय टेबल टेनिस इतिहास के सबसे मशहूर और सफल खिलाड़ी हैं। साल 2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने से लेकर 2022 के बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों के टीम गोल्ड तक के सफर में शरत ने देश के खेलप्रेमियों पर जो छाप छोड़ी है वो अद्भुत है। 40 साल की उम्र में भी शरत का फिटनेस लेवल देखते ही बनता है।
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में पुरुष टीम का गोल्ड जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे शरत कमल का खेल रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। लेकिन शरत की पहचान एक और चीज से है जो है सर पर उनके द्वारा पहना जाने वाला कपड़ा जिसे बांधना या अंग्रेजी में Bandana कहा जाता है। शरत कमल का ये स्टाइल टेनिस खिलाड़ी रॉजर फेडरर से प्रेरित है।
12 जुलाई 1982 को जन्में शरत ने 4 साल की नन्हीं उम्र में टेबल टेनिस का रैकेट पकड़ा। शुरुआत में शरत मैच हारने पर बहुत नाराज होते थे। ऐसे में पिता ने उन्हें सिखाया कि वह हार से सबक लेना शुरु करें। शरत 20 साल की उम्र में नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर जीतने में कामयाब रहे। साल 2006 से 2010 तक शरत ने लगातार 5 बार राष्ट्रीय चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। 2006 में ही शरत ने मेलबर्न कॉमनवेल्थ खेलों में देश को पुरुष सिंगल्स का ऐतिहासिक गोल्ड दिलाया। उन्होंने पुरुष टीम को फाइनल जिताने में भी अहम भूमिका निभाई थी।
शरत जीत के बाद देशभर में काफी लोकप्रिय हो गए थे, और उनका सर पर कपड़ा बांधने का स्टाइल भी काफी लोगों को पसंद आया। एक इंटरव्यू में शरत ने बताया कि उनका यह स्टाइल स्विट्जरलैंड के टेनिस खिलाड़ी रॉजर फेडरर और स्पेन के राफेल नडाल से काफी प्रेरित था। इन खिलाड़ियों को बांधना बांधे हुए खेलते और जीतते देखना शरत को काफी पसंद था और उन्होंने भी इस स्टाइल को अपनाने की सोची। शरत के मुताबिक ऐसा उन्होंने एक अलग पहचान और लुक बनाने के इरादे से किया।
शरत 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड जीतने वाली पुरुष टीम का हिस्सा रहे। 2014 के ग्लासगो खेलों में शरत ने पुरुष डबल्स का सिल्वर जीता। 2018 के कॉमनवेल्थ खेलों में शरत कमल ने टीम इवेंट में गोल्ड जीता और इसके बाद डबल्स में सिल्वर अपने नाम किया। इसी साल एशियन गेम्स में भारतीय टीम ने ऐतिहास ब्रॉन्ज मेडल जीता और शरत ने इस टीम की अगुवाई की। शरत ने मनिका बत्रा के साथ मिक्स्ड टीम इवेंट का ब्रॉन्ज भी जीता। शरत 3 बार ओलंपिक खेलों में भी खेल चुके हैं।
शरत वर्तमान में 40 साल के हैं लेकिन उनका फिटनेस लेवल देखते ही बनता है। वह इम उम्र में भी सभी युवा खिलाड़ियों के बराबर और कई बार उनसे बेहतर खेल दिखाते हैं। इसके लिए वो सारा श्रेय योग को देते हैं।