रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर के कई देशों ने रूस और बेलारूस पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए। खेल की दुनिया भी इससे पीछे नहीं रही। टेनिस के संघों ने बाकी खेलों के संघों से थोड़ा अलग फैसला लिया और सिर्फ टीम ईवेंट से रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों को दूर रखा। लेकिन साल के तीसरे ग्रैंड स्लैम विम्बल्डन के आयोजकों ने इस बार रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों के अपने टूर्नामेंट में खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके विरोध में ATP और WTA ने ऐलान किया कि विम्बल्डन में रैंकिंग प्वाइंट नहीं दिए जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो संभावना है कि नोवाक जोकोविच विम्बल्डन के बाद दुनिया के नंबर 1 खिलाड़ी न रहें और डेनिल मेदवेदेव बिना विम्बल्डन खेले दोबारा विश्व नंबर 1 बन जाएं।
दरअसल किसी भी टूर्नामेंट में रैंकिंग प्वाइंट हर राउंड में पहुंचने के आधार पर दिए जाते हैं साथ ही पिछली बार टूर्नामेंट में संबंधित खिलाड़ी के प्रदर्शन को भी देखा जाता है। साल के चारों ग्रैंड स्लैम में अधिकतम 2000 रैंकिंग अंक सिंगल्स मुकाबलों में विजेता को दिए जाते हैं। लेकिन यदि किसी खिलाड़ी ने पिछले साल खिताब जीता हो तो उसे इस साल अपने पिछले साल के ये अंक बचाने होते हैं।
ऐसी व्यवस्था पिछले साल के आधार पर खिलाड़ियों के इस साल हर राउंड के प्रदर्शन पर होती है। क्योंकि जोकोविच पिछले साल विम्बल्डन जीते थे ऐसे में उन्हें इस साल खिताब जीतकर अपने रैंकिंग प्वाइंट बचाने थे। ऐसे में इस बार अगर वो विम्बल्डन में भाग लेते भी हैं और खिताब जीतते भी हैं तो भी कोई रैंकिंग प्वाइंट उन्हें नहीं मिलेगा। फिलहाल जोकोविच के एटीपी रैंकिंग में 8660 अंक हैं और विम्बल्डन के बाद उन्हें अंकों का नुकसान होगा। लेकिन विश्व नंबर 2 डेनिल मेदवेदेव पिछले साल चौथे दौर तक ही पहुंच पाए थे, और क्योंकि रूसी होने के कारण वो इस बार नहीं खेल पाएंगे तो उन्हें भी चौथे दौर के लिए निर्धारित सिर्फ 180 प्वाइंट का नुकसान होगा। फिलहाल मेदवेदेव के 7980 अंक हैं। ऐसे में विम्बल्डन के बाद वो नए विश्व नंबर 1 बन सकते हैं।
खिलाड़ी कर रहे विरोध
एक ओर जोकोविच, मेदवेदेव, नडाल जैसे खिलाड़ियों ने विम्बल्डन की तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाते हुए एटीपी और डब्लूटीए के रैंकिंग अंक नहीं देने का समर्थन किया था तो दूसरी ओर कई खिलाड़ी इस तरह रैंकिंग अंक न देने के पक्ष में नहीं हैं। पूर्व विश्व नंबर 1 चेक रिपब्लिक की कैरोलीना प्लिसोकोवा ने फ्रेंच ओपन में पहले दौर की जीत के बाद कहा कि ये फैसला गलत है और जो खिलाड़ी वाकई विम्बलडन खेलना चाहते हैं उनके साथ नाइंसाफी है। टेनिस फैंस भी इस मुद्दे पर दो धड़ों में बंट गए हैं।
रैंकिंग प्वाइंट हटने के कारण संभावना है कि कई बड़े खिलाड़ी इस बार विम्बल्डन में भाग न लें। पूर्व विश्व नंबर 1 और 4 बार की ग्रैंड स्लैम विजेता नेओमी ओसाका भी इशारा कर चुकी हैं कि वो विम्बल्डन से बाहर हो सकती हैं।
बड़े खिलाड़ियों के न होने से असली नुकसान विम्बल्डन आयोजकों का ही होगा।