भारत के लिए खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में पहला एकल पदक जीतने वाले पहलवान केडी जाधव के जन्मतिथि की आज 97वीं सालगिरह है। इस खास अवसर पर गूगल ने विशेष डूडल बनाते हुए इस महान पहलवान को श्रद्धांजली दी। महाराष्ट्र के निवासी खाशाबा दादासाहेब जाधव ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक खेलों में कुश्ती में कांस्य पदक जीता था और आज़ाद भारत के पहले एकल ओलंपिक पदक विजेता एथलीट बने थे।

कुश्ती का खेल भारतीय इतिहास का अभिन्न अंग रहा है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र के कराड़ के गोलेश्वर गांव के निवासी केडी जाधव ने कुश्ती करनी शुरु की। 15 जनवरी 1926 को जन्मे खाशाबा के पिता दादासाहेब जाधव अपने समय के जाने-माने पहलवान थे। उन्हीं को देख खाशाबा ने 5 साल की उम्र से पहलवानी सीखी। जाधव पढ़ाई में भी अच्छे थे और खबरों के मुताबिक 1942 में 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भी अपने क्षेत्र में योगदान दे रहे थे। कॉलेज में खाशाबा बाबूराव बलवड़े और बेलापुरी गुरुजी से पहलवानी की कोचिंग लेते रहे।
साल 1948 में आज़ाद भारत की ओर से वह पहली बार लंदन ओलंपिक में खेलने गए। यहां फ्लाईवेट कैटेगरी में जाधव ने छठा स्थान पाया और सभी को हैरान कर दिया क्योंकि भारत में अखाड़ों में पहलवानी होती थी और जाधव को ओलंपिक में मैट पर लड़ना था। इसके बाद जाधव ने हेलसिंकी ओलंपिक को अपना लक्ष्य बनाया।
57 किलोग्राम भार वर्ग में खुद को शामिल करने के बाद जाधव ने 1952 ओलंपिक में भाग लिया। यहां सेमीफाइनल में हारने से पहले उन्होंने मेक्सिको, जर्मनी और कनाडा के पहलवानों को मात दी। इसके बाद रेपेचाज के जरिए जाधव ने कांस्य पदक जीता और भारत को आजादी के बाद उसका पहला एकल पदक दिलाया। उनसे पहले ओलंपिक में भारत के नाम 2 सिल्वर एकल पदक धावक नॉर्मन प्रिचर्ड की ओर से 1900 में आए थे।
जाधव के बाद देश को अगला एकल ओलंपिक मेडल साल 1996 के एटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस ने टेनिस में दिलाया। लेकिन जीवित रहते हुए जाधव को कोई पद्म सम्मान नहीं मिला। साल 1984 में उनका निधन हो गया और 2000 में जाकर उन्हें मरणोपरांत अर्जुन पुरस्कार दिया गया। अब गूगल द्वारा इस विशेष दिवस पर केडी जाधव को श्रद्धांजलि दिए जाने पर खेल प्रेमी गूगल की सराहना कर रहे हैं।
