आखिर क्यों खेल संघों में ऊंचे पदों पर बैठे रहते हैं राजनेता, तस्वीर बदलने की खास जरूरत

सांसद बृजभूषण शरण सिंह 10 सालों से अधिक समय से रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष हैं।
सांसद बृजभूषण शरण सिंह 10 सालों से अधिक समय से रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष हैं

भारतीय कुश्ती महासंघ यानी रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) और उसके अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगने के बाद अब कई खेल प्रेमी यह सवाल कर रहे हैं कि देश के खेल संघों में राजनेता आखिर दिलचस्पी क्यों दिखाते हैं। यह गौर करने वाली बात है कि 2012 से ही सांसद बृजभूषण शरण सिंह WFI के अध्यक्ष बने हुए हैं। हैरानी की बात ये है कि 2015 और 2019 में वह निर्विरोध चुने गए थे जबकि साल 2012 में उनके खिलाफ खड़े हुए राज सिंह ने अपना नाम वापस ले लिया था।

यह सिर्फ कुश्ती की बात नहीं है, देश में पिछले कुछ सालों में बदलाव दिखे हैं नहीं तो सभी बड़े खेल संघों में अध्यक्ष पदों पर हमें राजनेता ही दिखते थे। राजनेता नहीं तो उद्योगपति या सेवानिवृत्त हो चुके आला-अधिकारी इन पदों पर बैठे दिखते हैं। कुछ संघों में बदलाव आया है लेकिन इतने सालों के बाद यह बदलाव आना तरह-तरह के सवाल जरूर खड़े करता है।

हॉकी

हॉकी इंडिया की ही बात करें तो पिछले साल भारतीय टीम के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की इसके अध्यक्ष चुने गए। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि देश में साल 1925 से हॉकी की देखरेख के लिए संघ रहा, और 97 सालों के बाद कोई खिलाड़ी हॉकी की देखरेख के लिए अध्यक्ष बनाया गया। यह अपने आप में सोचने वाली बात है।

फुटबॉल

फुटबॉल की बात करें तो साल 1937 से इस खेल को बढ़ावा देने का काम करने के इरादे से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ यानी AIFF का संचालन किया जा रहा है। 2022 से पहले कांग्रेस नेता प्रफुल्ल पटेल 2009 से इसके अध्यक्ष रहे जबकि उनसे पहले राजनेता प्रिय रंजन दासमुंशी ने फुटबॉल की देखरेख बतौर प्रेसिडेंट की। अब जाकर पूर्व खिलाड़ी कल्याण चौबे को अध्यक्ष पद का जिम्मा दिया गया है। लेकिन यह भी सच है कि वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। और यह साफ करता है कि बिना किसी राजनैतिक पार्टी के समर्थन के खेल संघों में शामिल होना बेहद कठिन है।

टेबल टेनिस

साल 1926 में टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की गई। मौजूदा समय में मेघना अहलावत इसकी अध्यक्ष चुनी गई हैं जो हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की पत्नी हैं। खास बात ये है कि उनसे पहले उनके पति अध्यक्ष पद पर थे। हालांकि टेबल टेनिस फेडरेशन की एक्जिक्यूटिव कमेटी में कुछ टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं लेकिन अध्यक्ष पर पर क्या ऐसे खिलाड़ी को नहीं होना चाहिए जो एशियन गेम्स, या कॉमनवेल्थ गेम्स या विश्व चैंपियनशिप में टेबल टेनिस में कुछ बड़ा कर चुका हो।

बैडमिंटन

बैडमिंटन असोसिएशन ऑफ इंडिया यानी BAI की कहानी भी कुछ अलग नहीं है। साल 1934 से देश में काम कर रही इस असोसिएशन के अध्यक्ष असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा हैं। यह सोचने वाली बात है कि देश के बैडमिंटन इतिहास में 1970 और 1980 के दशक में कई बड़े खिलाड़ी रहे लेकिन इनमें से कोई आपको अध्यक्ष पद पर बैठा नहीं दिखाई दे रहा।

यह केवल कुछ खेल हैं। देश की लगभग सभी खेल फेडरेशन में आपको राजनीति या बड़े औद्योगिक घरानों के व्यक्ति या अधिकारी देखने को मिलेंगे। राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन के अध्यक्ष रनिंदर सिंह ट्रैप शूटर रहे हैं लेकिन वह भी राजनैतिक परिवार से आते हैं। वहीं रोइंग फेडरेशन की अध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देउ से पहले उनके पति अध्यक्ष थे।स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया में अब हर चार सालों में चुनाव होते हैं लेकिन मौजूदा अध्यक्ष आरएन जनशंकर अंतरराष्ट्रीय स्विमर नहीं हैं।

देश में खेलों की न जाने कितनी ही फेडरेशन हैं। कुश्ती संघ के बारे में तो चैंपियन खिलाड़ी सभी के सामने आकर अपनी आवाज उठा चुके हैं, लेकिन यह सोचने वाली बात है कि ऐसे खेल जिनके बारे में हम-आप ज्यादा जानकारी नहीं रखते, उनके खिलाड़ियों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा। हाल-फिलहाल में कुछ खेल संघों की तस्वीर जरूर बदली है लेकिन यह काम अब भी काफी कम हुआ है। 'उड़न परी' पीटी ऊषा भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष बनी हैं तो इसकी एथलेटिक्स कमिशन की अध्यक्ष मुक्केबाज मेरी कॉम बनी हैं। लेकिन अभी खिलाड़ियों की ये लड़ाई शुरु हुई है जो काफी लंबी चलेगी।

Edited by Prashant Kumar