सुप्रीम कोर्ट ने पहलवानों की शिकायत को बताया 'गंभीर', दिल्ली पुलिस को दिया नोटिस

धरने के पहले दिन साक्षी मलिक और वीनेश की आंखों में आंसू तक आ गए थे।
धरने के पहले दिन साक्षी मलिक और वीनेश की आंखों में आंसू तक आ गए थे।

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी WFI के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाले पहलवानों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। देश की सर्वोच्च अदालत ने पहलवानों की शिकायत का संज्ञान लेते हुए मामले को गंभीर बताया है और दिल्ली पुलिस को जांच के मामले में नोटिस भी जारी किया है। 23 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर वीनेश फोगाट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक जैसे स्टार रेसलर धरने पर बैठे थे और बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी का मांग कर रहे हैं।

पहलवानों ने दिल्ली पुलिस पर शिकायत किए जाने के बावजूद FIR दर्ज नहीं करने का आरोप लगाया था। इसी मामले को लेकर वह सुप्रीम कोर्ट तक गए जहां से उन्हें अब न्याय की आस नजर आ रही है। कोर्ट के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पहलवानों की ओर से दलील को रखते हुए बताया कि पुलिस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है। इस मामले में देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाय चंद्रचूड़ ने प्रकरण को गंभीर बताया और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। प्रकरण में आगे की सुनवाई 28 अप्रैल को होगी।

इस साल 18 जनवरी के दिन रियो ओलंपिक 2016 की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट साक्षी मलिक, कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट वीनेश फोगाट, टोक्यो ओलंपिक 2020 ब्रॉन्ज मेडलिस्ट बजरंग पुनिया समेत कई पहलवान पहली बार दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे। तब उन्होंने आरोप लगाया था कि WFI के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह, जो वर्तमान में बीजेपी के सांसद हैं, के द्वारा अध्यक्ष के पद का दुरुपयोग करते हुए कई महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किया गया है। मामले ने तूल पकड़ा और तब खेल मंत्रालय ने जांच समिति गठित की थी।

तीन महीन के करीब समय पूरा होने के बाद भी जब जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई और कोई निष्कर्ष नहीं निकला, तो पहलवान एक बार फिर धरने पर बैठने को मजबूर हो गए। 23 अप्रैल से ही पहलवानों का धरना जारी है। इस बार सभी पहलवानों ने साफ कर दिया है कि जब तक बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, वह धरने से नहीं उठेंगे। दूसरी बार धरने पर बैठी साक्षी मलिक ने बताया था कि 7 महिला पहलवानों की ओर से दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस थाने में बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शौषण की शिकायत लिखित में दी गई लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की।

यही नहीं साक्षी के मुताबिक 7 शिकायतकर्ताओं में से 1 नाबालिग है और ऐसे में बृजभूषण पर POCSO की धाराओं पर भी मुकदमा होना चाहिए। फिलहाल खेल मंत्रालय की ओर से मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ यानी IOA को जिम्मेदारी दी है कि WFI कार्यकारिणी के चुनाव अगले 45 दिनों में संपन्न करा लिए जाएं।

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