भारत के लिए पैरालंपिक में अनेको पदक अपने नाम कर चुकी और रियो 2016 में शॉट-पुट में रजत पदक जीतने वाली दीपा मलिक का सफ़र अभी भी जारी है। एक एथलीट के तौर पर तो उन्होंने देश का भी नाम रोशन किया और अपनी अलग पहचान भी बनाई। और अब दीपा भारतीय पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष बन चुकी हैं।
ओलंपिक चैनल के साथ बाचतीच में दीपा मलिक ने कहा कि अब तक जो उन्होंने देश के लिए किया है, अब उससे और आगे करना चाहती हैं।
"मैंने एक पैरालंपिक एथलीट के तौर पर देश के लिए कई पदक जीते हैं। एशियाई खेल, विश्व चैंपियनशिप के साथ साथ रियो में पैरालंपिक पदक भी जीता। मैंने हमेशा खुद को खिलाड़ी से ज़्यादा खेलों के लिए एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में माना है, जो एक बदलाव का नेतृत्व कर रहा है। जब भी मैंने पदक जीता तो मुझे लगा कि मैं बदलाव ला सकती हूं। इसने मुझे कुछ नीतियों को बदलने और पैरा-खेल के लिए कुछ जागरूकता पैदा करने के लिए मजबूर किया। इसके पीछे मेरा मकसद था कि खेल ज़रिए कैसे लोग विकलांगता के साथ सशक्त बन सकते हैं।"
अपनी इन बातों को आगे बढ़ाते हुए मलिक ने ये भी कहा कि अब नए रोल में वह और भी ज़्यादा बड़ी ज़िम्मेदारी के साथ देश को आगे ले जाने का काम करना चाहती हैं।
"महासंघ एक सकारात्मक बदलाव ला रहा है जहां वे एक एथलीट-केंद्रित दृष्टिकोण और अपनी योजनाओं को एथलीटों को केंद्र में रखते हुए तैयार कर रहा हैं। मुझे लगता है कि मैं इसमें योगदान कर सकती हूं। खेल ने जो मुझे दिया मैं इसके ज़रिये उसे वापस दे रही हूं। एक एथलीट और फिर नेतृत्व करते हुए एक प्रशासक के रूप में भी कुछ बदलाव ला सकती हूं। मैं एक एथलीट के रूप में अपने अनुभव के आधार पर निश्चित रूप से बड़ा योगदान दे सकती हूं, जैसे कि एथलीट क्या चाहते हैं और मैं उनकी आवाज बन सकती हूं।"
दीपा ने इस मक़सद को पूरा करने के लिए क़दम भी बढ़ा दिए हैं और एथलीटों के लिए कई तरह की योजनाएं तैयार की हैं। अभी कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पैरा एथलीटों के लिए कई तरह के वेबिनार भी आयोजित किए।
इस बारे में दीपा बताती हैं, "हमने वेबिनार बनाए और इन्हें आगे की तैयारी के लिए रखा है। इसमें चोट प्रबंधन, आहार, उचित मानसिक सेहत पाठ्यक्रम पर बातचीत हुई है। हमने घरों पर व्यायाम करने वाले एथलीटों के वीडियो भी डाले हैं जो अन्य एथलीटों को प्रेरित करते हैं। इसलिए यह एथलीटों और विभिन्न राज्य निकायों से जुड़ने में समय का अच्छा सदुपयोग भी है जिसे हम आगे भी जारी रखेंगे।"
ज़ाहिर है जब एक खिलाड़ी ख़ुद प्रशासक की ज़िम्मेदारी संभालता है तो वह दूसरे कई खिलाड़ियों के लिए एक आशा की किरण बनता है, और हमें उम्मीद है कि अपने नाम की ही तरह दीपा भी उन उम्मीदों पर खरा उतरते हुए देश को दीप जैसी रोशनी से जगमगा देंगी।