तेजस्विन शंकर (Tejaswin Shankar) एक ऐसा एथलीट जिसने कभी ख़्वाब देखा था कि वह भी दिल्ली से ही भारतीय क्रिकेट टीम के लिए क्रिकेट खेलेंगे। उनका जलवा भी मैदान पर वैसा ही रहेगा जैसा उनके ही शहर के वीरेन्दर सहवाग (Virender Sehwag) या मौजूदा भारतीय कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) का है।
तेजस्विन अपनी स्कूल की टीम के एक बेहतरीन सदस्य थे और अपनी लंबाई का फ़ायदा उठाते हुए शंकर काफ़ी तेज़ और उछाल लेती हुई गेंदबाज़ी भी करते थे, लेकिन इस युवा खिलाड़ी की यही लंबाई फ़ील्डिंग के दौरान उनके ख़िलाफ़ जाती थी जिसके बाद उन्हें क्रिकेट में बहुत परेशानी होने लगी।
ओलंपिक चैनल को दिए एक इंटरव्यू में इस भारतीय हाई जंपर ने ख़ुलासा किया और कहा, “आउटफ़िल्ड में मैं बहुत धीमा और कमज़ोर था, इसी वजह से जब मैं अंडर-14 से अंडर-16 की ओर जा रहा था तो अपनी राज्य की टीम में जगह बनाने से चूक गया। मेरे स्कूल के नए कोच ने तब मुझे बताया कि मुझे एथलेटिक्स में हाथ आज़माना चाहिए जिससे मैं अपनी दौड़ और चपलता को बेहतर कर सकता हूं। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम बस तभी गेंद को पकड़ पाओगे जब गेंद तुम्हारी तरफ़ आएगी।‘’
अपनी इन कमियों को सुधारने के लिए तेजस्विन ने कोच की बात मानते हुए हाई जंप की ओर रुख़ किया, लेकिन यहीं से उनके करियर ने एक नया मोड़ लिया और वह ट्रैक एंड फ़ील्ड के हाई जंप में भारत की बड़ी उम्मीद बन गए।
हालांकि क्रिकेट के मैदान से ट्रैक एंड फ़ील्ड की छलांग शंकर के लिए आसान नहीं थी, अपने स्कूल के कोच सुनील कुमार के कहने पर शंकर ट्रैक एंड फ़िल्ड इवेंट्स में शिरकत तो करने लगे थे। लेकिन उनके पिता इस बात के बिल्कुल ख़िलाफ़ थे। शुरुआती समय में शंकर घर वालों से छिपकर और स्कूल के लंच ब्रेक में ही ट्रैक एंड फ़ील्ड का अभ्यास किया करते थे।
जैसे-जैसे वक़्त बीता, शंकर का ये अभ्यास रंग लाने लगा और देखते ही देखते उनकी ये चमक उनके घर वालों से भी नहीं छिपी क्योंकि तब तक तेजस्विन का करियर एक नई मंज़िल की तरफ़ जंप कर चुका था। 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में तो इस एथलीट ने स्वर्ण पदक के साथ अपने उस फ़ैसले को भी पूरी तरग सही साबित कर दिया।
2021 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक गेम्स में तेजस्विन हाई जंप में भारत की एक बड़ी उम्मीद माने जात रहे हैं, हालांकि कोरोना वायरस (COVID-19) की वजह से कई प्रतियोगिताओं के रद्द होने का तेजस्विन को मलाल ज़रूर है पर वह टोक्यो के लिए क्वालिफ़ाई करने के अपने मक़सद पर पूरी लगन के साथ मेहनत कर रहे हैं।
20 वर्षीय इस युवा हाई जंपर की नज़र अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को और भी बेहतर करने पर है ताकि वह भारत को ओलंपिक में पहला ट्रैक एंड फ़िल्ड मेडल दिला सकें। शंकर मानते हैं कि 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में हुए नतीजों से उन्हें प्रेरणा मिली है और वह भी सभी को चौंका सकते हैं।
‘’किसी ने नहीं सोचा था कि कोई गोल्ड मेडल जीतने के लिए 2.37 मीटर का हाई जंप कर सकता है। क़तर के मुतियाज़ बर्शिम के बारे में तो किसी को उम्मीद भी नहीं थी क्योंकि पिछले साल उन्हें एड़ी में चोट आई थी। लेकिन उन्होंने न सिर्फ़ जीता बल्कि रिकॉर्ड भी तोड़ डाला। अगर आपका अच्छा दिन रहा तो आप कुछ भी कर सकते हैं।‘’
आने वाले वक़्त में तेजस्विन का प्रदर्शन इसी तरह बरक़रार रहा तो टोक्यो का टिकट तो उनकी झोली में आ ही सकता है, साथ ही साथ वह ओलंपिक मानचित्र पर हिन्दुस्तान की एक नई इबारत भी लिख सकते हैं।