लॉन्ग जंप से करियर शुरू करने वाले मुहम्मद अनस का टोक्यो 2020 के लिए ‘हाई-जंप’ !

Irshad
मुहम्मद अनस यहिया (Muhammad Anas Yahiya) - तस्वीर साभार: Indiatimes
मुहम्मद अनस यहिया (Muhammad Anas Yahiya) - तस्वीर साभार: Indiatimes

टोक्यो 2020 का टिकट, एशियन गेम्स के रजत पदक विजेता, साथ ही साथ 400 मीटर दौड़ में एशियन चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल और राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी हासिल कर चुके मुहम्मद अनस यहिया (Muhammad Anas Yahiya) की ये कुछ ऐसी उपलब्धियां हैं जहां तक पहुंचना हर किसी एथलीट का सपना होता है।

निलामेल एक्सप्रेस के नाम से मशहूर ये धावक क्वार्टर मील में फ़िलहाल भारत की शान बन गया है। 400 मीटर दौड़ में एक अलग मुक़ाम हासिल कर चुके मुहम्मद अनस यहिया ने 4X400 मीटर रिले टीम इवेंट में भी अपने प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया है।

अनस के परिवार का दौड़ के साथ पुराना रिश्ता रहा है, अनस के पिता जी भी राज्यस्तरीय धावक रह चुके हैं। लेकिन अनस जहां आज पहुंचे हैं और जिसपर देश को नाज़ है, वह इतना आसान नहीं रहा है।

शुरुआती दौर

केरल के कोलम ज़िले के एक छोटे से गांव निलामेल में परवरिश पाने वाले अनस और उनके बड़े भाई अनीस स्कूल दौड़ कर ही जाते थे और इसी तरह दौड़ते हुए ही वे वापस भी आते थे। ऐसा इसलिए नहीं था कि उनके अभिभावक ट्रांसपोर्ट का ख़र्चा नहीं उठा सकते थे, बल्कि वे ऐसा इसलिए करते थे ताकि बचपन से ही इन दोनों भाईयों का करियर दौड़ में बेहतर हो सके।

अनस का करियर शुरु हुआ उनके गांव में ही एक स्थानीय क्लब के साथ जहां उनके कोच थे अनसर। अनस पूरे गांव में सबसे तेज़ दौड़ते थे, लेकिन इसके बावजूद उनके कोच चाहते थे कि अनस अपना करियर लॉन्ग जंप में बनाएं। उन्हें लगता था कि अनस की कद काठी और तेज़ी उन्हें लॉन्ग जंप में बहुत आगे ले जाएगी।

अनसर ग़लत भी नहीं थे क्योंकि उसी साल अनस ने अपने स्कूल में लॉन्ग जंप की चैंपियनशिप जीत ली थी और अपने इरादे साफ़ कर दिए थे।

बड़ा झटका

लेकिन इससे पहले कि अनस इसमें शुरुआत करते, अनस को एक बड़ा झटका लग गया था। अनस पिता जो उस समय साउदी अरब में काम करते थे, उनका स्वर्गवास हो गया था। दो बच्चों के यतीम होने के बाद उनकी मां शीना ने अपने बच्चों को खेल से अलग करते हुए पढ़ाई की तरफ़ मोड़ना चाहा।

लेकिन अनस के कोच अनसर के आश्वासन के बाद शीना आख़िरकार मान गईं, लेकिन उनकी एक ही मांग थी कि पहले उनके बच्चे 10वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास कर लें।

अपनी मां की इस उम्मीद को सच करने के लिए अनस बहुत ही जल्दी उठ जाते थे, फिर क़रीब तीन घंटे पढ़ाई करने के बाद वह कोच अनसर के पास ट्रेनिंग करने जाया करते थे।

नतीजा ये हुआ कि अनस ने 10वीं की परीक्षा 84% अंकों के साथ पास की, और फिर कोच की सलाह पर उनका दाख़िला पास के ही एक स्कूल में हुआ जो खेल में बेहतरीन प्रतिभाओं को तराशने के लिए जाना जाता था।

यही वह वक़्त था जब अनस के कोच ने दोबारा अनस को दौड़ने वाले ट्रैक पर ले आए, कुछ बारीकियों पर ध्यान देने के बाद अनसर ने अनस को एक अच्छा धावक बना दिया था। और उसी साल राज्यस्तरीय टूर्नामेंट में अनस ने कांस्य पदक हासिल करते हुए बेहतर भविष्य की झलक दिखा दी थी। इसके बाद राष्ट्रीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतते हुए अनस ने अपने आपको साबित कर दिया था, और अब सभी की नज़रें अनस पर आ चुकी थीं।

मील का पत्थर

राज्यस्तरीय टूर्नामेंट और अंतर विश्वविद्यालय टूर्नामेंट में कुछ लाजवाब प्रदर्शन करने के बाद अनस का दाख़िला त्रिवेंद्रम के लक्ष्मीबाई नेश्नल कॉलेज ऑफ़ फ़िज़िकल एजुकेशन में हुआ जहां से वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर के धावक बन कर सामने आए।

टोक्यो का टिकट

पिछले कुछ सालों में अनस की टाइमिंग में लगातार बेहतरी हो रही है, उन्होंने इसका मोज़ाएहरा IAAF वर्ल्ड एथलीट चैंपियनशिप में भी दिया था। जहां वह भारत की ओर से 4X400 मीटर रिले टीम इवेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए टोक्यो 2020 का टिकट भी हासिल कर चुके हैं।

मुहम्मद अनस, विसमया, कृष्ण मैथ्यू और नोआह निर्मल तोम ने 3:16.14 सेकंड्स की टाइमिंग के साथ इस कारनामे को अंजाम देते हुए टोक्यो 2020 के लिए क्वालिफ़ाई किया है। टोक्यो में भी अब देश को मुहम्मद अनस से इसी प्रदर्शन को दोहराते हुए इतिहाच रचने पर होगी।

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