एम श्रीशंकर : पिछले कॉमनवेल्थ खेलों से ठीक पहले करानी पड़ी थी सर्जरी, इस बार हैं गोल्ड के दावेदार

श्रीशंकर पहली बार कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा ले रहे हैं।
श्रीशंकर पहली बार कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा ले रहे हैं।

भारत के मुरली श्रीशंकर ने हाल ही में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप्स के पुरुष लॉन्ग जम्प फाइनल में जगह बनाई और इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए। 23 साल के श्रीशंकर इस स्पर्धा की विश्व चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष एथलीट हैं जबकि दूसरे ओवरऑल खिलाड़ी हैं। उनसे पहले सिर्फ अंजू बॉबी जॉर्ज ये कारनामा कर पाई हैं। फाइनल में भी श्रीशंकर ने पूरी जी जान लगाई और 7वें नंबर पर रहे। और अब कॉमनवेल्थ खेलों में ये राष्ट्रीय चैंपियन अपना पहला मेडल जीतने को तैयार है।

श्रीशंकर शायद पिछली खेलों में भी मेडल ले आते, लेकिन प्रतियोगिता के शुरु होने के 10 दिन पहले ही उन्हें नाम वापस लेना पड़ा क्योंकि उन्हें एपेंडिसाइटिस (Appendicitis) की दिक्कत का सामना करना पड़ा था। श्रीशंकर ने 2018 मार्च में फेडरेशन कप नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था और उनका नाम देर से ही सही AFI और IOA ने गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों के लिए चुन लिया था।

श्रीशंकर के पिता एस मुरली उन्हें बचपन से लॉन्ग जम्प के लिए कोच कर रहे हैं।
श्रीशंकर के पिता एस मुरली उन्हें बचपन से लॉन्ग जम्प के लिए कोच कर रहे हैं।

श्रीशंकर ने इसके बाद लगातार मेहनत की। 2018 के ही एशियन गेम्स में श्रीशंकर 7.95 मीटर की जम्प के साथ छठे नंबर पर रहे, अंडर-20 एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीता और 2018, 2019, 2021, और इस साल 2022 में राष्ट्रीय चैंपियन बने। श्रीशंकर लॉन्ग जम्प में राष्ट्रीय रिकॉर्ड होल्डर भी हैं और 8.36 मीटर की छलांग लगा चुके हैं। ऐसे में 2022 बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में श्रीशंकर पदक के प्रबल दावेदार हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि विश्व चैंपियनशिप में सातवें स्थान पर रहे श्रीशंकर के आगे रहे बाकी 6 एथलीट जिन देशों से हैं वो कॉमनवेल्थ का हिस्सा नहीं हैं।

खेल छोड़ने का बना लिया था मन

पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में श्रीशंकर क्वालिफिकेश दौर में 7.69 मीटर की छलांग लगाकर 24वें नंबर पर रहे थे। तब श्रीशंकर और उनके कोच पिता एस मुरली की काफी आलोचना हुई थी। AFI ने तो श्रीशंकर के पिता के स्थान पर उन्हें नया कोच भी दे दिया था। ऐसे में श्रीशंकर काफी निराश हो गए थे और खेल को छोड़ना चाहते थे। लेकिन उनके पिता ने बेटे को हौसला दिया और नई चुनौतियों के लिए तैयार किया। यही वजह है कि इस साल दो बार श्रीशंकर ने 8.20 मीटर की छलांग लगाई है और अब कॉमनवेल्थ खेलों में पोडियम फिनिश को तैयार हैं।

भारत ने कॉमनवेल्थ खेलों में कुल 3 पदक लॉन्ग जम्प में जीते हैं। 1978 के ऐलबर्टा कॉमनवेल्थ खेलों में सुरेश बाबू ने पुरुषों की लॉन्ग जम्प में कांस्य पदक जीत इस स्पर्धा का पहला और इकलौता मेडल देश को दिलाया। वहीं 2010 में प्रजूषा मलियाकल ने महिला लॉन्ग जम्प में सिल्वर जीता था जबकि 2002 में अंजू बॉबी जॉर्ज ने ब्रॉन्ज जीता। ऐसे में श्रीशंकर इस बार गोल्ड जीतकर लॉन्ग जम्प में विश्व चैंपियनशिप के बाद और ऐतिहासिक पल अपने नाम कर सकते हैं।

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