एथलेटिक्ट ओलंपिक में सबसे बड़ा एकल खेल है, जिसे ट्रैक, फ़िल्ड और रोड में विभाजित किया जाता है। अपने प्रतिद्वंदी से तेज़ दौड़ना एक साधारण बात है, लेकिन एक एथलीट को हर विभाग में सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए तब उसे मिलता है स्वर्ण पदक।
ओलंपिक स्टेडियम में एथलेटिक्स ट्रैक 400 मीटर ओवल आकार में होता है। सभी ट्रैक इवेंट्स के लिए फ़िनिश लाइन एक ही होती है, जो अंत में होती है और उस ‘होम स्ट्रेट’ कहा जाता है।
ट्रैक में तीन तरह के प्रोग्राम होते हैं: स्प्रिंट्स, मिडिल डिस्टेंस और लॉन्ग डिस्टेंस इन सभी में पुरुष और महिलाएं प्रतिस्पर्धा करती हैं। हर्डल्स और स्टीपलचेज़ रेस और रिले। ज़्यादातर इवेंट्स हीट्स से शुरू होते हैं, जिसमें से सबसे तेज़ एथलीट या टीम को सेमीफ़ाइनल्स में जगह मिलती है और फिर वहां से फ़ाइनल्स में प्रवेश होता है।
एक निर्धारित दूरी वाले वर्ग में दुनिया सबसे तेज़ धावक बनने के लिए आपको सिर्फ़ तेज़ दौड़ नहीं लगानी होती बल्कि पूरी तरह से फ़िट भी होना ज़रूरी होता है। साथ ही ताक़त और किस तरह से चुनौतियों का सामना करना है इसकी रणनीति बनाना भी शामिल होता है। ताकि आप किस तरह स्प्रिंट में दौड़ें और कैसे हर्डल्स और स्टीपलचेज़ को पार करें।
कम दूरी की स्प्रिंट दौड़ 100 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर होती हैं। ये 6 इवेंट में होता है जिनमें पुरुष और महिलाएं शामिल होती हैं, साथ ही साथ चार हर्डल्स इवेंट होते हैं और इसमें भी पुरुष और महिलाएं दोनों ही एथलीट प्रतिस्पर्धा करते हैं।
100 मीटर दौड़ वह होती है जिसे जीतने वाला दुनिया का सबसे तेज़ धावक कहलाता है, और ये एक ऐसा इवेंट होता है जिसका इंतज़ार सभी गेम्स में सभी को रहता है। इस दूरी को 1896 गेम्स में 12 सेकंड्स में पूरा किया गया था, जबकि अमेरिका के जिम हिन्स दुनिया के पहले धावक थे जिन्होंने ये दौड़ 10 सेकंड्स के अंदर पूरी की थी। उन्होंने ये कारनामा मेक्सिको 1968 में किया था, और तब से ये रिकॉर्ड अमेरिका या जमैका के एथलीट के ही पास रहता आया है।
मौजूदा वक़्त में ये वर्ल्ड रिकॉर्ड 9.58 सेकंड्स का है जो इतिहास के सबसे सर्वश्रेष्ठ धावक कहे जाने वाले जमैका के उसैन बोल्ट के नाम है। बोल्ट ने 2009 में हुए आईएएएफ़ वर्ल्ड चैंपियनशिप में ये रिकॉर्ड अपने नाम किया था। कोई भी एथलीट जो 10 सेकंड्स के अंदर इस दौड़ को पूरा करता है, वह एक सेकंड में 10 मीटर दौड़ लगाने में सक्षम होता है।
ओलंपिक प्रतिस्पर्धा में इवेंट
100 मीटर (पुरुष/महिला)
200 मीटर (पुरुष/महिला)
400 मीटर (पुरुष/महिला)
800 मीटर (पुरुष/महिला)
1,500 मीटर (पुरुष/महिला)
5,000 मीटर (पुरुष/महिला)
10,000 मीटर (पुरुष/महिला)
110 मीटर हर्डल्स (पुरुष)
100 मीटर हर्डल्स (महिला)
400 मीटर हर्डल्स (पुरुष/महिला)
3,000 मीटर स्टीपलचेज़ (पुरुष/महिला)
4 x 100 मीटर रिले (पुरुष/महिला)
4 x 400 मीटर रिले (पुरुष/महिला)
4 x 400 मीटर मिश्रित रिले
रणनीति और तकनीक
मिडिल और लॉन्ग डिस्टेंस दौड़ 800 मीटर से लेकर 10, 000 मीटर के बीच होती है। इसमें से सबसे छोटी दूरी में एथलीट शुरुआती 100 मीटर में अपने अपने लेन में दौड़ते हैं। जिसके बाद वह किसी भी लेन में जा सकते हैं, 1500 मीटर और उससे ज़्यादा की दूरी वाली दौड़ में एथलीट क्रेसेंट के आकार की स्टार्ट लाइन पर खड़े होते हैं जहां सभी लेन में दौड़ने के लिए एथलीट स्वतंत्र होते हैं।
मिडिल डिस्टेंस दौड़ में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि आख़िरी कुछ मीटर जब बचे रहते हैं तो एथलीट बहुत तेज़ी से दौड़ लगाते हुए फ़िनिश लाइन को सबसे पहले छूना चाहते हैं। लेकिन ज़्यादा दूरी की दौड़ में ये तकनीक कभी भी काम नहीं आती है, इसलिए एथलीट अपनी तकनीक लगातार बदलते रहते हैं।
3000 मीटर स्टीपलचेज़ में एथलीट के सामने एक अतिरिक्त चुनौती होती है कि उन्हें बाधाओं के ऊपर से छलांग लगाते हुए दौड़ना होता है। जो ट्रैक पर पांच जगहों पर रखे होते हैं, इन बाधाओं की लंबाई 36 इंच (91.4 सेंटीमीटर) पुरुषों के लिए फ़िक्स होती है, जबकि महिलाओं के लिए 30 इंच (76.2 सेंटीमीटर) रहती है। पांच में से एक बाधा पानी की भी होती है, जिसे छलांग लगाने के लिए एक एथलीट और भी ज़्यादा उत्साह और ताक़त की ज़रूरत होती है।
4 लोगों के रिले इवेंट में जीत सिर्फ़ रहने और सबसे तेज़ दौड़ने से ही नहीं मिलती। जिसका ताज़ा उदाहरण है रियो 2016 में पुरुष जापानी टीम की जीत, जिन्होंने तेज़ी से ज़्यादा तकनीक पर ध्यान दिया।
जहां टीमों के पास ऐसे ऐसे एथलीट थे जो 100 मीटर की दौड़ 10 सेकंड्स में पूरी करने की महारत रखते थे, वहां जापानी टीम के पास ऐसा कोई एथलीट नहीं था। लेकिन इसके बावजूद जापान की रिले टीम जमैका के बाद दूसरे स्थान पर रही थी। कैसे ? जापान ने हाथ के नीचे से बैटन पास पर ध्यान दिया, एक ऐसी तकनीक जो बेहतरीन है लेकिन उसे करना बहुत ही मुश्किल है। टीम ने इस तकनीक पर पहले ख़ूब रिसर्च किया और फिर इसे आमली जामा पहनाया।
टोक्यो 2020 में एक नया इवेंट भी शामिल किया जा रहा है, जो मिश्रित 4x400 रिले होगा। जिसमें हर टीम में दो पुरुष और दो महिला शामिल होंगी, इसे एक बेहतरीन और शानदार पहल के तौर पर देखा जा रहा है।
दिग्गज सितारे और कुछ नए नाम
नॉर्थ अमेरिका और कैरेबियाई एथलीट हमेशा से कम दूरी की दौड़ में जीत हासिल करते आए हैं। जबकि मिडिल और लॉन्ग डिस्टेंस की दौड़ में दबदबा अफ़्रीकी एथलिटों का रहा है।
ऐतिहासिक उसेन बोल्ट के संन्यास लेने के बाद पुरुष पोडियम पर एक स्थान ख़ाली रह गया है। उन्हीं के युग के एथलीट में महिला स्टार शेली एन फ़्रेज़र प्राइस (जमैका) भी हैं जिन्होंने लंदन 2012 में 100 मीटर में स्वर्ण पदक हासिल किया था, तो वहीं 6 बार की गोल्ड मेडलिस्ट अमेरिका की ऐलिसन फ़ेलिक्स भी शामिल हैं।
इनके साथ साथ जमैका के ऊभरते हुए धावक एलेन थॉम्पसन पर सभी की निगाहें होंगी, जिन्होंने रियो 2016 में भी 100 और 200 मीटर दौड़ में दोहरा पदक जीता था। तो वहीं दक्षिण अफ़्रीका के वेड वान नीकर्क भी मौजूद रहेंगे जिन्होंने सर्वकालिक दिग्गज माइकल जॉनसन के 17 सालों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए रियो 2016 में 400 मीटर में गोल्ड मेडल सिर्फ़ 24 साल की उम्र में अपने नाम किया था।
रियो 2016 में महिलाओं की 5000 मीटर और 10000 मीटर दौड़ का सभी पदक इथोपिया और केन्या की एथलिटों के नाम रहा था। इथोपिया की अलमाज़ अयाना ने 10 हज़ार मीटर में गोल्ड मेडल हासिल किया था और ऐसा करते हुए उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी तोड़ डाला था और वह भी 14 सेकंड्स के बड़े फ़ासले के साथ।
फ़िनिश लाइन छूने के लिए शरीर के किस हिस्से का इस्तेमाल करना होता है ?
भले ही एक एथलीट का सिर, हाथ या पैर पहले लाइन तक पहुंचते हों, एथलीट की दौड़ तब तक समाप्त नहीं होती जब तक की उनकी नाक लाइन को नहीं छू जाती।