CWG 2022 : बैडमिंटन में श्रीकांत, सेन और सिंधू से बड़ी उम्मीद, डबल्स में सात्विक-चिराग पर नजर

श्रीकांत और सिंधू ने पिछले कॉमनवेल्थ खेलों में सिंगल्स का सिल्वर मेडल जीता था।
श्रीकांत और सिंधू ने पिछले कॉमनवेल्थ खेलों में सिंगल्स का सिल्वर मेडल जीता था।

22वें कॉमनवेल्थ खेलों में इस बार भारत को जिस इवेंट से पदकों की बारिश की उम्मीद होगी वो है बैडमिंटन। पूर्व विश्व चैंपियन पीवी सिंधू, विश्व चैंपियनशिप मेडलिस्ट किदाम्बी श्रीकांत और लक्ष्य सेन, सात्विक-चिराग जैसे नाम भारत की मेडल की उम्मीदों में सबसे आगे हैं। चीन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के खिलाड़ियों की गैर मौजूदगी में इन टॉप खिलाड़ियों पर अतिरिक्त दबाव भी होगा।

सिंगल्स में ट्रिपल S का दम

इस बार पुरुष सिंगल्स में किदाम्बी श्रीकांत और लक्ष्य सेन भारत की अगुवाई करेंगे। किदाम्बी इस सीजन कोई सिंगल्स खिताब नहीं जीत पाए हैं लेकिन थॉमस कप में टीम को मुश्किल मुकाबलों से निकालकर जीत तक ले जाने में श्रीकांत ने अहम भूमिका निभाई। पूर्व विश्व नंबर 1 इस खिलाड़ी ने 2018 के खेलों में सिल्वर मेडल जीता था और मलेशिया के ली चोंग वेई से हारे थे। वहीं लक्ष्य सेन पहली बार कॉमनवेल्थ खेलों में टीम का हिस्सा बने हैं। अपने तेज-तर्रार खेल के लिए मशहूर लक्ष्य अपने पहले कॉमनवेल्थ गेम्स मेडल के इंतजार में हैं। इन दोनों ही खिलाड़ियों को मुख्य चुनौती मलेशिया के ली जी जिया से मिल सकती थी लेकिन वो बर्मिंघम खेलों में भाग नहीं ले रहे।

पिछले कॉमनवेल्थ खेलों में साइना ने महिला सिंगल्स का गोल्ड और सिंधू ने सिल्वर जीता था।
पिछले कॉमनवेल्थ खेलों में साइना ने महिला सिंगल्स का गोल्ड और सिंधू ने सिल्वर जीता था।

महिला सिंगल्स में दो बार की ओलंपिक मेडलिस्ट पीवी सिंधू और आकर्षि कश्यप भारत की अगुवाई करेंगे। सिंधू 2018 के खेलों में महिला सिंगल्स फाइनल में साइना नेहवाल से हारीं थीं, लेकिन इस बार उनके पास गोल्ड जीतने का सुनहरा मौका है। आकर्षि कश्यप का ये पहला कॉमनवेल्थ है और ऐसे में उनके लिए ये अनुभव काफी काम आने वाला है। पिछली बार की गोल्ड मेडलिस्ट साइना नेहवाल इस बार टीम में नहीं चुनी गई हैं।

20 साल के लक्ष्य सेन पहली बार कॉमनवेल्थ खेलों का हिस्सा बनेंगे।
20 साल के लक्ष्य सेन पहली बार कॉमनवेल्थ खेलों का हिस्सा बनेंगे।

कॉमनवेल्थ खेलों में भारत के लिए सबसे पहला सिंगल्स गोल्ड साल 1978 के खेलों में प्रकाश पादुकोण ने जीता था। इसके ठीक 4 साल बाद ब्रिसबेन कॉमनवेल्थ खेलों में सैयद मोदी ने इसी ईवेंट का गोल्ड जीता था। फिर 32 साल के अंतराल के बाद 2014 में परुपल्ली कश्यप ने पुरुष सिंगल्स का गोल्ड मेडल अपने नाम किया। महिला सिंगल्स में पहला गोल्ड साल 2010 में साइना नेहवाल ने दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों में दिलाया। साइना ने 2018 के पिछले कॉमनवेल्थ खेलों में भी गोल्ड जीता।

डबल्स में सात्विक-चिराग से उम्मीद

सात्विक साईंराज और चिराग शेट्टी की जोड़ी डबल्स में भारत के लिए मेडल की सबसे बड़ी आशा है। भारत की इस टॉप जोड़ी ने थॉमस कप में बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम को खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। 2018 के खेलों में इस जोडी ने सिल्वर मेडल जीता था और ऐसे में इस बार इनपर दबाव ज्यादा होगा।

सात्विक-चिराग की जोड़ी 2018 के अपने डबल्स सिल्वर मेडल के साथ।
सात्विक-चिराग की जोड़ी 2018 के अपने डबल्स सिल्वर मेडल के साथ।

अश्विनी पोनप्पा-एन सिक्की रेड्डी ने पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता था जबकि अश्विनी पोनप्पा 2010 खेलों में ज्वाला गुट्टा के साथ महिला डबल्स का गोल्ड जीत चुकी हैं। लेकिन इस बार अश्विनी मिक्स्ड डबल्स में सुमित रेड्डी के साथ उतर रही हैं जबकि महिला डबल्स में गायत्री गोपीचंद और ट्रीसा जॉली खेलती दिखाई देंगी। बैडमिंटन के मुकाबले बर्मिंघम खेलों में 29 जुलाई से 8 अगस्त तक खेले जाएंगे।

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