बैडमिंटन एशिया चैंपियनशिप : फाइनल में पहुंच सात्विक-चिराग ने रचा इतिहास, पहली बार कोई भारतीय जोड़ी खेलेगी खिताबी मैच

प्रतियोगिता के 61 साल के इतिहास में पहली बार कोई भारतीय जोड़ी फाइनल खेलेगी।
प्रतियोगिता के 61 साल के इतिहास में पहली बार कोई भारतीय जोड़ी फाइनल खेलेगी।

भारत के नंबर 1 डबल्स बैडमिंटन खिलाड़ी सात्विक साईंराज और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन एशिया चैंपियनशिप के खिताबी मुकाबले में जगह बना ली है। छठी वरीयता प्राप्त भारतीय जोड़ी को सेमीफाइनल में मुकाबले के दौरान विरोधी टीम के खिलाड़ी के चोटिल होकर मैच से हटने के कारण जीत हासिल हुई।

टोक्यो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट चीनी ताइपे के ली यैंग-वांग ची लिन की जोड़ी के खिलाफ भारतीय जोड़ी 21-18, 13-14 से आगे थी जब चिन-लिन ने पैर में चोट के कारण मुकाबले से हटने का फैसला किया और प्रतियोगिता के इतिहास में पहली बार कोई भारतीय डबल्स के फाइनल में पहुंच गई।

अब फाइनल में सात्विक-चिराग की जोड़ी का सामना विश्व नंबर 8 और आठवीं ही सीड मलेशिया के ओंग यू सिन और तियो ई यी की जोड़ी से होगा। यह दोनों जोड़ियां इससे पहले 6 बार एक-दूसरे का सामना कर चुकी हैं जहां तीन-तीन बार दोनों ने ही मुकाबले जीते हैं। आखिरी बार मार्च में इसी साल स्विस ओपन के सेमीफाइनल में दोनों जोड़ियां आमने-सामने थीं जहां सात्विक-चिराग ने जीत हासिल की थी और अंतत: भारतीय जोड़ी ने खिताब भी जीता था।

सात्विक और चिराग ने अभी तक दुबई में हो रही इस एशियाई चैंपियनशिप में बेहतरीन प्रदर्शन कर हर मुकाबला दो सेट में जीता है। क्वार्टर-फाइनल में तो पूर्व विश्व चैंपियन इंडोनिशिया के मोहम्मद एहसान और हेंद्रा सेतियावान की जोड़ी को मात देकर सात्विक-चिराग ने सभी को चौंका दिया था। अब कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट भारतीय जोड़ी एशियाई चैंपियन बनने का सपना देख रही है।

साल 1962 में शुरु हुई एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में आज तक किसी भी भारतीय जोड़ी ने खिताब नहीं जीता है। साल 1965 में दिनेश खन्ना ने पुरुष सिंगल्स खिताब जीता था और यह अभी तक इस प्रतियोगिता में भारत का इकलौता गोल्ड मेडल है। साल 1971 में दीपू घोष और रमन घोष की जोड़ी ने पुरुष डबल्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। साल 1978 में सैयद मोदी और प्रकाश पादुकोण की जोड़ी पुरुष डबल्स में सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब हुई थी लेकिन उस साल यह प्रतियोगिता Invitational थी और इसी कारण इसे आधिकारिक रूप से नहीं गिना जाता।

Edited by Prashant Kumar
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