भारत की स्टार महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम ने कहा कि टोक्यो गेम्स उनका आखिरी ओलंपिक्स होगा और वो इस बात से बेहद खुश हैं कि 2012 लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर उन्होंने देश की युवा लड़कियों को खेल में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरीकॉम 20 सालों से बॉक्सिंग कर रही हैं, लेकिन ओलंपिक मेडल के लिए उन्हें 2012 लंदन ओलंपिक्स तक इंतजार करना पड़ा जब महिलाओं को स्पर्धा करने की पहली बार अनुमति मिली।
एमसी मैरीकॉम ने ओलंपिक चैनल से बातचीत करते हुए कहा, 'टोक्यो मेरा आखिरी ओलंपिक्स होगा। यहां उम्र मायने रखती है। मैं अभी 38 की हूं और अगले साल 39 की हो जाऊंगी। चार साल लंबा समय है। काफी हद तक भरोसा है कि अगर मैं पेरिस 2024 तक खेलना भी चाहूं तो आगे अनुमति नहीं मिलेगी।' बता दें कि टोक्यो गेम्स के लिए मुक्केबाजों की उम्र की सीमा 40 तय की गई थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे एक साल बढ़ाकर 41 कर दिया गया।
एमसी मैरीकॉम को खुद पर गर्व
एमसी मैरीकॉम 2016 रियो ओलंपिक्स में जगह नहीं बना पाईं थीं। उन्होंने 2019 में युवा चैलेंजर को मात देकर 2020 टोक्यो गेम्स के लिए क्वालीफाई किया। एमसी मैरीकॉम ने कहा, 'ओलंपिक्स विशाल है। किसी भी खिलाड़ी के लिए गेम्स में हिस्सा लेना और मेडल जीतना सपना होता है। यह जिंदगी बदल देता है। ओलंपियन बनना और ब्रॉन्ज मेडल जीतने से मेरी जिंदगी भी बदल गई। इससे कई महिलाओं को खेल में आने की प्रेरणा मिली, विशेषकर मुक्केबाजी।'
एमसी मैरीकॉम ने आगे कहा, 'मुझे गर्व महसूस होता है। मैं चाहती हूं कि ज्यादा लड़कियां आगे आएं और फाइट करें। मुझे उम्मीद है कि उन्हें अपने परिवार से लड़ाई या पाबंदी के चलते बाहर नहीं निकल पाएं। इन्हें अपने और अपने देश के लिए फाइट करना सीखना होगा।'
छह बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरीकॉम (51 किग्रा) को हाल ही में स्पेन के कास्टेलोन में संपन्न 35वें बॉक्सम इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा था। एमसी मैरीकॉम को सेमीफाइनल में अमेरिका की वर्जिनिया फुश के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी। वहीं विश्व ब्रॉन्ज मेडलिस्ट सिमरनजीत कौर (60 किग्रा) के साथ दो अन्य महिला बॉक्सर्स ने टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया।